चुनावी दंगल में दलबदलू 'पहलवान'
नीरज सहाय. पटना
भारतीय राजनीति में नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आना-जाना कोई नई बात नहीं है. कई बार ऐसा हुआ जब कोई नेता अपनी धुर विरोधी पार्टी में चला गया और फिर वहीं रम गया. बिहार में भी ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है. पार्टियां बदलने वाले नेता तो कई हैं लेकिन पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि, पूर्व सांसद लवली आनंद, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और मंत्री रमई राम ऐसे नेता हैं जो कई बार पार्टियां बदल चुके हैं.
नागमणि, पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि
वर्ष 1977 में पहली बार विधायक बने पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि 11 बार दल बदल चुके हैं. शोषित समाज दल, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस कोई भी दल नागमणि से अछूता नहीं रहा. लालू, नीतीश या रामविलास पासवान, किसी के साथ नागमणि ज्यादा दिन साथ नहीं चल सके. समाजवादी नेता जगदेव प्रसाद के पुत्र नागमणि अपने पिता की हत्या के लिए कांग्रेस को ही जिÞम्मेदार बताते हैं. इसके बावजूद वर्ष 2010 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा. नागमणि 10 प्रतिशत कुशवाहा वोट का दावा करते हैं. वर्ष 2014 में उन्होंने अपनी समरस समाज पार्टी बनाई और उसके अध्यक्ष हैं. बार-बार दल बदलने के सवाल पर नागमणि कहते हैं, आज के नेता तानाशाह हो गए हैं इसलिए मैंने अपनी पार्टी बना ली है.
लवली आनंद
पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद की राजनीति पति के इर्द-गिर्द ही घूमती है. माना जाता है कि किसी नई पार्टी में जाना या उसे छोड़ देने का कारण भी उनके पति ही रहे हैं. लवली वर्ष 1994 में अपने पति की बिहार पीपुल्स पार्टी की टिकट पर पहली बार वैशाली से सांसद बनीं. इसके बाद वे लोक जनशक्ति पार्टी, समता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में आईं. फिलहाल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा में हैं. लवली कहती हैं कि हम पार्टी नहीं छोड़ते, पार्टी हमें छोड़ती हैं.
जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री
जीतन राम मांझी वर्ष 1980 में डाक-तार विभाग की नौकरी छोड़ सक्रिय राजनीति में आए और पहली बार कांग्रेस से विधायक बने. वर्ष 1995 में वो राष्ट्रीय जनता दल और वर्ष 2005 में जनता दल यूनाइटेड में चले गए.मांझी हमेशा सत्तारूढ़ दल के साथ रहे और नौ महीने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे. अपमान को कारण बताते हुए उन्होंने पद से इस्तीफा दिया और बाद में हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा बनाया. मांझी कहते हैं, आज लोग राजनीति का इस्तेमाल शासन में बने रहने के लिए कर रहे हैं. सेवाभाव नहीं है और साल 2010 के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का व्यवहार भी लालू प्रसाद जैसा हो गया है.
रमई राम, बिहार सरकार में मंत्री
बिहार सरकार में मंत्री रमई राम, हेल्थ इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़कर वर्ष 1969 में सक्रिय राजनीति में आए. लगातार 10वीं बार बोचहा विधान सभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. रमई राम का चुनावी क्षेत्र तो एक रहा, लेकिन उन्होंने पार्टियां कई बदली हैं. जनता पार्टी, लोक दल, जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड उनके राजनीतिक पड़ाव रहे हैं. रमई राम कहते हैं, मैंने दल नहीं बदला है. समाजवादी था और आज भी उसी ग्रुप में हूँ. -बीबीसी हिंदी डॉटकॉम से
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