इस बार मोदी नहीं खा पाएंगे बिहार की लीची
मनीष शांडिल्य. पटना
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति इस साल, पेड़ पर लगने वाला रसगुल्ला यानि कि मुजफ्फरपुर की शाही लीची नहीं चख सकेंगे। मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सहित कई महत्त्वपूर्ण लोगों को इस साल लीची नहीं भेजेगा। जिले के प्रभारी जिलाधिकारी कंवल तनुज ने बताया, इस साल अच्छी गुणवत्ता वाली लीची का उत्पादन नहीं होने के कारण यह फैसला लेना पड़ा। गौरतलब है बिहार का मुजफ्फरपुर जिला मीठी-रसीली लीची के बगानों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। जिला प्रशासन द्वारा भेजे जाने वाली लीची की पैकेजिंग से लेकर उन्हें सुरक्षित पहुंचाने तक की जिम्मेवारी लगभग एक दशक से राधाकृष्ण इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड की रही है। राधाकृष्ण इंपैक्स के मालिक राजकुमार केडिया कहते हैं, जिले में हर साल करीब तीन लाख टन लीची का उत्पादन होता है, लेकिन इस बार उत्पादन आधे से भी कम हुआ है। कई लीची उत्पादक इससे अधिक नुकसान की बात कह रहे हैं। मुजफ्फरपुर शहर के भोलानाथ झा के मुताबिक उन्हें पिछले साल के मुकाबले लगभग 75 फीसदी का नुकसान हुआ है। वहीं एक दूसरे उत्पादक शंभूनाथ का कहना है कि उनका नुकसान करीब नब्बे फीसदी का है। उत्पादन में गिरावट के साथ-साथ लीचियों की गुणवत्ता में भी कमी आई है।
भूकंप का असर
वहीं जिले के सहायक निदेशक, उद्यान राधेश्याम कम उत्पादन की बात स्वीकार तो करते हें लेकिन उनके मुताबिक नुकसान इतना ज्यादा नहीं है।
हालांकि जिला उद्यान विभाग के पास भी लीची उत्पादन या नुकसान से संबंधित कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। मौसम और कीड़ों की मार-मार के साथ-साथ जानकार अप्रैल और मई में आए भूकंप के कई छोटे-बड़े झटकों को भी कम पैदावार की वजह मान रहे हैं। -बीबीसी हिंदी डॉटकॉम से
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