नये सहयोगियों के लिए खुले हैं भाजपा के दरवाजे, बिहार चुनाव बहुत महत्वपूर्ण

amit shahनई दिल्ली। बिहार चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ हाथ मिलाने की संभावनाओं का संकेत देते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि बातचीत चल रही है और नये सहयोगियों के लिए उनकी पार्टी के दरवाजे खुले हुए हैं। इस पृष्ठभूमि में कि बिहार में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने वाले हैं और दिल्ली विधानसभा चुनावों में मिली भारी पराजय के बाद बिहार के इस चुनाव को भाजपा के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है ,शाह ने इस बात पर जोर दिया कि भाजपा बिहार चुनाव को बहुत महत्व दे रही है और विश्वास जताया कि राज्य में पार्टी बहुमत हासिल करेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा अपने मौजूदा सहयोगियों के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी या मांझी और राजद से निष्कासित सांसद पप्पू यादव जैसे लोगों से हाथ मिलायेगी, शाह ने कहा, फिलहाल, बातचीत चल रही है । हमारे दरवाजे खुले हैं। शाह ने किसी संभावित सहयोगी का नाम नहीं लिया । वह यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा मांझी से गठजोड़ कर सकती है जो राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण महादलित समुदाय से आते हैं, हालांकि भाजपा के पप्पू यादव से हाथ मिलाने की संभावना नहीं है।    इस सवाल पर कि क्या दिल्ली में पराजय के बाद बिहार का चुनाव उनके लिए परीक्षा है, भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि हर चुनाव उनके लिए परीक्षा है और साथ ही कहा कि पार्टी इसे बहुत गंभीरता से ले रही है। शाह ने कहा, हम इसे बहुत गंभीरता से ले रह हैं और इसे बहुत महत्व दे रहे हैं। बिहार से रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी और उपेन्द्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भाजपा की मौजूदा सहयोगी पार्टियां हैं। भाजपा बिहार में अपने पूर्व सहयोगी, जदयू नेता नीतीश कुमार को परास्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। नीतीश कुमार ने अपने धुर विरोधी राजद नेता लालू प्रसाद से हाथ मिलाया है। कुमार और लालू प्रसाद के बीच मदभेद के सामने आने के साथ भाजपा का मानना है कि वह बिहार के इन दोनों क्षत्रपों से राज्य को मुक्त करा सकती है जिन्होंने कुल मिलाकर 25 वर्षों तक यहां शासन किया है। जदयू और राजद ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए पहले जनता परिवार के चार अन्य दलों के साथ विलय की घोषणा की थी लेकिन अब उनकी यह योजना पटरी से उतर गयी लगती है और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये दोनों दल गठबंधन के रूप में चुनाव लड़ेगे।






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