विष्णु का महायज्ञ कराने गोपालगंज आए फर्जी शंकराचार्य!

यज्ञ में स्वागत समिति के अध्यक्ष गप्पू शाही द्वारा अपनेफेसबुक पेज पर शेयर की गई तस्वीर सभार

 नरेंद्रानंद सरस्वती पर शंकराचार्य के नाम का दुरुपयोग करने की बद्रिकाश्रम और द्वारिकापुरी के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से  पुलिस के पास पहले से ही की जा चुकी है लिखित शिकायत
विशेष संवाददाता
बिहार कथा. गोपालगंज. गोपालगंज के कुचायकोर्ट के बलथरी गांव में आयोजित एक श्री विष्णु महायज्ञ में कथित रूप से फर्जी शंकराचार्य का आगमन हुआ है. कथित फर्जी शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द सरस्वती पर शंकराचार्य की सम्मानित पीठ के नाम का दुरूपयोग करने का आरोप है. इनको फर्जी शंकराचार्य करते हुए बीते 20 नवंबर, 2016 को झारखंड के रायगढ़ में पुलिस को शिकायत दर्ज की गई है. उस समय नरेंद्रानंद सरस्वती वहां एक कार्यक्रम में पहुंचे थे, तब कार्रवाई के लिए रायगढ़ के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डा. एम तमिलवनन ने  सुमेरू पीठ के कथित फर्जी शंकराचार्य नरेन्द्रानन्द सरस्वती के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे.  इससे पूर्व बद्रिकाश्रम और द्वारिकापुरी के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की ओर से इस संबंध में पुलिस के पास लिखित शिकायत की गई थी. पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में शंकराचार्य के प्रतिनिधि स्वामी संजय ने नरेन्द्रानन्द सरस्वती के खिलाफ तत्काल कारर्वाई करने का अनुरोध के साथ यह शिकायत की गई थी कि नरेन्द्रानन्द सरस्वती शंकराचार्य होने की बात कह कर शंकराचार्य की पीठ का अपमान कर रहे हैं. वह न तो शंकराचार्य  हैं और न ही किसी पीठ ने या प्रबुद्ध संत ने उन्हें इसके लिए अधिकृत ही किया है. शिकायत में नरेन्द्रानन्द सरस्वती को फर्जी शंकराचार्य बताया गया है और कहा गया है कि जब देश में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार ही पीठ हैं तो सुमेरू पीठ के नाम से पांचवीं पीठ कैसे बन गयी?
देश में घूम रहे 84  फर्जी शंकराचार्य
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्रगिरीजी महाराज ने पिछले ही दिनों चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि देश में 84 शंकराचार्य फर्जी हैं. इसके साथ ही इन फर्जी शंकराचार्यों को बीते साल उज्जैन के हुए सिंहस्थ कुंभ में प्रवेश नहीं देने की घोषणा की थी. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का दावा है कि मूल पीठ चार ही हैं और उनके शंकराचार्य ही मान्य हैं. ज्ञात हो कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का 1954 में गठन किया गया था. कुंभ में मची भगदड़ के बाद सभी अखाड़ों ने मिलकर अखाड़ा परिषद का गठन किया था. ज्ञात हो कि देश में फर्जी शंकराचार्यों को लेकर आए दिन विवाद होते रहता है.






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