आतंक का साम्राज्य स्थापित करने की मंशा पालने वालों के, मनोबल को तोड़ना ही एक मात्र उपाय : निकेश चन्द्र
सिवान एक ऐसा जिला,जो कालांतर से वर्तमान तक, सदैव किसी-न-किसी रूप में चर्चित रहा है। कभी यह भगवान राम के अनुज लक्ष्मण, महान आचार्य द्रोण, भगवान बुद्ध, देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू, कौमी एकता के प्रतीक मौलाना मजरुलहक के जन्मस्थली, कर्मस्थली, विश्रामस्थली अथवा यात्रामार्ग के लिए गौरवान्वित था, तो वहीं आज, ठीक इसके विपरीत कर्म करने वालों के कुकृत्यों के लिए कुख्यात है।
कारण चाहे जो भी रहे, परन्तु तत्कालीन समाज, अपने सकारात्मक सोच और सात्विक कर्तव्यपथ पर चल कर अपने गौरव को, अपने विरासत को, अपनी संस्कृति को अक्षुण रखा। परन्तु हम, कहीं-न-कहीं अपने कर्तव्य, अपने दायित्वों के निर्वहन में फिसड्डी साबित हो रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज नई पीढ़ी सफलता के पथ को त्याग कर भ्रमपथ पर चलना ही हितकर समझ बैठी है।
विगत कुछ वर्षों से सिवान के आपराधिक घटनाओं पर नजर डालें तो स्पस्ट हो जाता है कि, पचहत्तर फीसदी अपराधी टीनएजर ही हैं। यह एक गम्भीर और चिंतनीय विषय है। इस विषय पर समय रहते विचार नहीं किया गया तो, एक दिन यह आपदा के रूप में हमारे सामने होगा और हम सब इसके त्रासदी झेलने को मजबूर होंगे।
अपराधियों के बढ़ते मनोबल का कारण क्या है? क्यों आये दिन हत्या,छिनतई, लूट, धमकी के बारदात बढ़ गए हैं?
माना कि, पुलिस त्वरित कार्यवाही कर मामले का उद्भेदन कर ले रही है, परन्तु इतना, नामाकूल है। अनुकूल तब होगा, जब अपराध शून्य हो जाय अथवा न के बराबर। अपराधियों के मन में शासन-प्रशासन का खौफ, इस क़द्दर हो कि, उसे गलत कार्य करने से पहले हजार बार सोचना पड़े।
जरूरत है पुलिस व आमजन का मित्रवत होना और एक दूसरे के सहायक होने का बोध होना। संकीर्ण मानसिकता को त्याग कर समाजहित में अच्छे कार्य करना, प्रत्येक गलत कार्यो का विरोध करना। कुल मिलाकर हमें हमारे कर्त्तव्य का अक्षरसः पालन करने का संकल्प लेना। वह चाहे आमजन हो अथवा कोई प्रशासनिक महकमा, यदि सभी लोगों में उदारवादी विचारधारा, इंसानियत और कर्तव्यनिष्ठता का संकल्पित होकर पालन करना होगा।
वर्तमान परिस्थिति, जिले के अमन पसन्द लोगों व जिला प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। आज जिस प्रकार सिवान में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने, आपराधिक घटनाओं में इजाफा कर लोगों के मन में एक खौफ पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है, वह चिंतनीय है।
अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ चला है कि, मा० सांसद कविता जी के मोबाइल फोन पर उन्हें और उनके पति अजय जी को उतर प्रदेश के कमलेश तिवारी के तरह अंजाम भुगतने की धमकी देना, आखिर क्या साबित करता है?
कुल मिलाकर, आतंक का साम्राज्य स्थापित करने की मंसूबे पालने वाले समाज विरोधी ताकतों को बेनकाब कर उन पर कठोर कार्रवाई करने के लिए शासन और प्रशासन दोनों को संवेदनशील होना होगा और आमजन को भी अपने मानवता धर्म को निष्ठापूर्वक निर्वहन करना होगा, तभी हम ऐसी चुनौतियों का सामना कर, उसे अवसर में परिवर्तित कर सकते हैं।
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