बिहार में ठंड का साइड इफेक्ट:-सूखने लगे के पेड़
बिहार कथा, हथुआ ( गोपालगंज)। इस वर्ष पड़ी भीषण ठंड का साइड इफेक्ट अब दिखने लगा है। कड़ाके व हाड़ कपाने वाली ठंड के दुष्परिणाम इन दिनों क्षेत्र के नीम के पेड़ों पर देखने को मिल रहा है। लोगों के आस्था के नीम पेड़ सूखने लगे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कोई इनके सूखने के कारण प्रदूषण बता रहा है,तो कोई देवी आपदा मान रहा है। जबकि जानकारों का कहना है कि इस साल पड़ी लंबी ठंड के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है। जानकार बताते हैं कि जिन पौधों में थोड़ी भी जान होगी वह मौसम बदलने के बाद एक बार फिर हराभरा हो जाएगा। जो पौधे पूरी तरह सूख गये हैं। उन पर हरियाली आना बेहद मुश्किल व असंभव है। हथुआ के डा राजेन्द्र प्रसाद उच्च विद्यालय के समीप विशाल नीम का पेड़ तथा मनीछापर गांव स्थित नीम का पेड़ पूरी तरह सूख चुका है। इसके अलावा रतनचक,सोहागपुर,महैचा,चैनपुर,सिंगहा आदि गांवों में बड़ी संख्या में नीम व तुलसी के पौधे सूख गए हैं। कई सूखे पेड़ों को फिर से हरा-भरा करने का प्रयास ग्रामीणों द्वारा किया जा रहा है।
पेड़ों को सूखने से चिंतित हैं ग्रामीण
जागो-जगाओ मंच के संयोजक संजय कुमार साह कहते हैं कि पहली बार
इतनी बड़ी संख्या में नीम के पेड़ों को सूखते हुए देखना काफी दुखद है। जिन पेड़ों के नीचे खेलते-कूदते बचपन बीता उन पेड़ों को सूखते देख काफी तकलीफ हो रही है। घर परिवार में छोटी-छोटी बीमारियों को नीम के पत्तियों के प्रयोग से ठीक होते हुए देखा है। नीम के पत्तियों से नहाने से बुखार व खुजली जैसी बीमारियों से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। नीम व तुलसी को लाखों दुखों की एक दवा माना जाता है। इसके अलावा इनका धार्मिक महत्व भी है।
इन पेड़ों पर है ज्यादे असर
इस बार ठंड ने कई साल का रिकार्ड तोड़ दिया। लगातार लंबे समय तक ठंड पड़ने से नीम,कैसिया,विलायतीसेमल, इमली, अमलतास, गुलमोहर सहित कई पौधे सूख गए।
2004 में दिखा था ऐसा प्रकोप
जानकारो का कहना है कि 14 साल बाद एक बार फिर ठंड ने नीम को अपने चपेट में लिया है। इसके पहले 2004 में ठंड की ऐसी मार नीम के पेड़ों पर पड़ी थी। जब नीम के पेड़ सूख या मुरझा गए थे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
ज्यादा समय तक तापमान लो रहने से वैम नामक एक फंजाई पेड़ के अंदर उगती है और चलने वाली पानी की वाहिकाओं को बंद कर देती है। जिस कारण पानी का प्रवाह ऊपर की तरफ नहीं जाता है। इससे पत्तियां सूख जाती हैं। यही कारण है कि इस बार शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक नीम व तुलसी के साथ कई पौधे सूख रहे हैं। मौसम बदलने के बाद फिर पेड़ हरे-भरे हो जाएंगे।
डा सरफराज अहमद,विभागाध्यक्ष,वनस्पति शास्त्र,हथुआ कॉलेज
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