बेगूसराय : अधर्म कितना भी सबल हो उसका धर्म से पराजय निश्चित है _ संजीव कृष्ण ठाकुर

भगवानपुर (बेगूसराय) धर्मनिष्ट पांडव की अपेक्षा अधर्मी कौरव का सेना अधिक सबल थे ,किंतु जीत पाण्डवो की ही हुई । जिसके पास धर्म था ठाकुर जी उसके साथ थे तथा जिसके पक्ष मे स्वयं ठाकुर जी उसकी पराजय भला कैसे सम्भव हो सकता है । यह उदगार अयोध्या से पधारे कथा व्यास श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी महाराज ने प्रखंड क्षेत्र के बनवारीपुर चकदुल्लम स्थित शांति गुरुकुल राघवेंद्र आश्रम मे आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिवस की प्रातःकालीन सत्र (गुरुवार ) मे मृदुल वाणी मे कथा वाचन करते हुए व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि भगवान की भक्ति के तीन सूत्र हैं । प्रथम सूत्र भगवान् के चरित्र का सर्वन करना है । भक्ति मार्ग मे भगवान् से जुडने का सबसे अच्छा मार्ग यह है । भगवान् के चरित्रो के सर्वन मे इतना डुब जाओ , भगवान स्वयं लीला करते नजर आए । कीर्तन भक्ति का दूसरा सूत्र है । भगवान् का कीर्तन इतना जोर से करो , कि मीरा की तरह सभी लोक लाज खो दो । भगवान् को देखो , शरीर और संसार को भूल जाओ । भक्ति मार्ग का तीसरा सूत्र भगवान् का निरंतर स्मरण करना है । 12 वर्ष के वनवास के दौरान दासी पुत्र विदूर भगवान की इतनी तपस्या की भगवान स्वयं उनके घर मेहमान बन गए । कौरवो के महतो का छप्पन प्रकार के व्यंजन को ठुकराकर साक भाजी , केले के छिलके खाने दासी पुत्र विदुर के घर तरफ दौरे और दरवाजा खट खटाने लगे । ठाकुर जी प्रेम के भूखे हैं , भाव के भूखे है ।
प्रति वर्ष लगभग पन्द्रह वर्षो से उक्त स्थान पर उक्त आश्रम के द्वारा सीताराम संकीर्तन नवाह महायज्ञ सह ज्ञान कथा का आयोजन होता है , इस दौरान भंडारा भी निरंतर जारी रहता है । इस दौरान पुरा क्षेत्र भक्तिमय बना रहता है ।हजारो श्रद्धालुओ की भीड़ नित्य कथा पंडाल मे कथा सर्वन करने पहुंचते हैं ।






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