हथुआ अस्पताल में डाक्टरों की कमी से सेवा प्रभावित
20 की जगह मात्र चार डाक्टर ही हैं पदस्थापित
25 की जगह मात्र चार एएनएम हैं कार्यरत
50 की जगह मात्र दो ए ग्रेड नर्स हैं पदस्थापित
300 मरीज देहाती क्षेत्रों से प्रतिदिन आते हैं इलाज के लिए
बिहार कथा , हथुआ
ग्रामीण क्षेत्र में स्थित जिले के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थान हथुआ अनुमंडल अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है। अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त इस संस्थाना में कर्मियों व आधारभूत संरचना का घोर अभाव है। अनुमंडल मुख्यालय में एक बड़ी आबादी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने वाला इस अस्पताल में मात्र चार डाक्टर ही पदस्थापित हैं। जबकि प्रतिदिन हथुआ के ग्रामीण क्षेत्रों से 300 के करीब मरीज इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल में मरीजों के इलाज की पूरी जिम्मेवारी प्राइवेट कर्मियों व एएनएम की उपर रहती है। इलाज के नाम पर रेफर करने में प्राथमिकता दी जाती है। अस्पताल सूत्रों की माने तो जो डाक्टर पदस्थापित हैं,वे भी अस्पताल में पर्याप्त समय नहीं देते हैं। ड्यूटी को लेकर डाक्टरों के बीच आपसी तालमेल का घोर अभाव है। जिसके चलते अस्पताल में आये दिन हंगामा व तोड़-फोड़ होता रहता है। अस्पताल उपाक्षीक्षक का भी इन डाक्टरों पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है। अस्पताल में मरीजों की संख्या तेजी के साथ बढ़ रही है। लेकिन लंबे समय से की जा रही मांग के बावजूद डाक्टरों की कमी को दूर नहीं किया जा रहा है।
20 की जगह मात्र चार डाक्टर हैं पदस्थापित
वैसे तो अस्पताल में डाक्टरों के लिए कुल 20 स्वीकृत पद हैं। लेकिन पद स्थापित मात्र 4 हैं। डाक्टरों में एक भी विशेषज्ञ डाक्टर नहीं हैं। अस्पताल उपाधीक्षक के अलावा वर्तमान में डा जीडी तिवारी,डा अनिल कुमार चौधरी,डा रमेश राम व डा टीएन सिंह पद स्थापित हैं। अस्पताल में ए ग्रेड नर्स के स्वीकृत 50 पदों पर मात्र 2 ही कार्यरत हैं। अस्पताल के कुल 8 वार्डो की आवश्यकता के अनुसार कम से कम 25 एएनएम की आवश्यकता है। जबकि 25 की जगह मात्र 4 ही कार्यरत हैं।
अस्पताल में हमेशा होता है हंगामा
अनुमंडलीय अस्पताल आए परिजन इलाज में कोताही व डाक्टरों की अनुपस्थिति को लेकर आए दिन हंगामा करते रहते हैं। सोहागपुर गांव में भाजपा नेता जितेन्द्र राय की मौत सर्प दंश से हो गयी थी। इसमें आरोप था कि सर्प दंश का इंजेक्शन रहने के बावजूद भी मरीज को रेफर कर दिया गया था। जिससे उनकी मौत हो गयी थी। इसके अलावा तुरपट्टी गांव में करंट से बालक के मौत के बाद लोगों ने डाक्टर की पिटाई कर अस्पताल में तोड़-फोड़ किया था। गत दिनों रतनचक गांव में भी करंट से एक बच्चे की मौत के बाद लोगों ने डाक्टर के अनुपस्थित रहने का आरोप लगा कर हंगामा किया था।
पीएचसी में हैं 7 डाक्टर
दिलचस्प बात यह है कि अनुमंडल मुख्यालय में स्थित पीएचसी में सात डाक्टरों की तैनाती है। जबकि यहां ओपीडी नहीं चलता है। ऐसे में अगर पीएचसी के डाक्टरों का प्रतिनियोजन अनुमंडलीय अस्पताल में कर दिया जाए,तो कुछ हद तक समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
अस्पताल में बंद हैं अल्ट्रासाउंड
अनुमंडलीय अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सेवाएं बंद पड़ी हुई है। बकाया राशि के भुगतान को लेकर आउट सोर्सिग एजेंसी द्वारा सेवा को बंद कर दिया गया है। ब्लड स्टोरेज के नाम पर ब्लड बैंक खोला गया। लेकिन ब्लड के अभाव में इसका कोई उपयोग नहीं हो पाता है।
क्या कहती हैं अस्पताल उपाधीक्षक
अस्पताल में 20 की जगह मात्र 4 डाक्टर ही पदस्थापित हैं। जिसके चलते परेशानी का सामना करना पड़ता है। इलाज में कोताही बरतने का आरोप लगा कर पब्लिक आए दिन अस्पताल कैंपस में हंगामा करती है। पर्याप्त डाक्टरों की पदस्थापना के लिए वरीय अधिकारियों से पत्राचार किया गया है।
डा उषा किरण वर्मा,उपाधीक्षक,अनुमंडलीय अस्पताल हथुआ
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