गोपालगंज में किसानों का रुपया हजम कर बंद हुए कई पैक्स
बिहार कथा. संवाददाता, गोपालगंज. को-आॅपरेटिव बैंकों के अंतर्गत जिले में संचालित 238 पैक्सों में से अधिकांश ऋण के मामले में डिफाल्टर तो है ही बहुत से ऐसे भी पैक्स हैं जहां कभी आडिट ही नहीं हो सका है। जिसके चलते पैक्सों के लेन देन की जानकारी ना तो प्रधान कार्यालय को ही है और ना ही सहकारिता विभाग को। बता दें की सहकारिता विभाग में बड़ी गड़बड़ी की शिकायत तो आम लोगों द्वारा बराबर की जाती रही है। जिले में कई दर्जन पैक्स द्वारा जमा वृद्धि व्यवसाय के अंतर्गत किसानों के आवर्ती जमा,बचत खाता एवं अन्य संचालित योजनाओं के तहत रुपये जमा कराया गया। लेकिन जब किसानों के रुपये वापस लेने का समय आया तो अब अधिकांश पैक्स बंद हो गए। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार तालपुर,बुचिया,चौगांवा,बड़हरा, सरे यानरेन्द्र, भितभिरेवा, एकडेरवां, बनक टिया, बंगरा(धोबवालिया)मानिकपुर, महुवआ,बनकटिया,भोपतापुर, सिरीसिया, जलालपुर, कालामटीहनिया, दुर्ग मटहनिया,सेमरा,बनकटा तथा बहेरवा पैक्सों पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत लगातार आती
रही है। इनमें से अधिकांश पैक्सों में 2001 से लेकर 2014 तक ऑडिट नहीं हो सका है। को-ऑपरेटिव अध्यक्ष के पैतृक गांव बड़हरा में स्थित पैक्स पर भी 2008 के बाद कभी भी ऑडिट नहीं किया जा सका है।
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