मधुबनी के संतोष कुमार को रामनाथ गोयंका अवार्ड
शंभु कुमार गुप्ता, मधुबनी.
महापर्व छठ के दिन आ गये हैं . बिहार को खुशियां ही खुशियां मिल रही है ! एक्सिलेंस इन हिंदी जर्नलिज्म का प्रिंट कारामनाथ गोयंका अवार्ड भी अपने बिहार के मधुबनी के संतोष कुमार के नाम गया है. संतोष अभी नई दिल्ली में इंडिया टुडे पत्रिका में असिस्टेंट एडिटर के पद पर कार्यरत हैं .संतोष मूल रुप से मधुबनी के जयनगर के देवधा गांव के रहने वाले हैं . राजनैतिक-सामाजिक रुप से जाग्रत परिवार है . पिता रामलोचन साह और मां सीता देवी लंबे अर्से तक सरपंच रहे हैं . अभी गांव में ही रहते हैं . जाहिर है कि जब संतोष को जर्नलिज्म में देश के सर्वोच्च पुरस्कार मिलने की खबर पहुंची,तो पूरे गांव में खुशी छा गई . संतोष की पढ़ाई-लिखाई जवाहर नवोदय विद्यालय,बेगूसराय व मधुबनी में हुई है . फिर 1999 में पढ़ने को नई दिल्ली चले गये . दिल्ली के करोड़ी मल कालेज में दाखिला मिला . कालेज की पढ़ाई के बाद संतोष ने पत्रकारिता को करियर के रुप में चुना . इनकी शुरुआत अमर उजाला से हुई . फिर राजस्थान के पुराने अखबार दैनिक नवज्योति के दिल्ली ब्यूरो में लंबे अर्से तक रहे . इसके बाद 2011 में इंडिया टुडे समूह से जुड़े .संतोष कुमार इंडिया टुडे की हिन्दी पत्रिका के लिए भाजपा को कवर करते रहे हैं. गोयनका अवार्ड उन्हें ‘बीजेपी : आखिर ‘किससे’ करे महासंपर्क ? की शानदार स्टोरी के लिए मिला है . इसका प्रकाशन सितंबर,2015 में हुआ था . दरअसल,यह स्टोरी भाजपा की सदस्यता अभियान की सच्चाई थी . मिस्ड कॉल से भाजपा ने देश भर में नये सदस्य बनाये . करोड़ों मिस्ड कॉल आये . सभी मिस्ड कॉल को सदस्य संख्या मान लिया गया . भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पालिटिकल पार्टी भी घोषित हो गई .लेकिन जब आगे महासंपर्क का समय आया, तो मालूम हुआ कि बड़े प्रतिशत में तो सिर्फ नंबर ही हैं, नाम-पता तो है ही नहीं . ऐसे में,महासंपर्क की टीम संपर्क करे भी तो किससे . इस विषय को लेकर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी भी चिंतित हुए थे . संतोष कुमार की रिपोर्ट में पूरी बानगी थी और इसी बानगी ने आज संतोष को देश का सर्वोच्च पत्रकारिता पुरस्कार दिला दिया है .
संतोष कुमार को ये अवॉर्ड बीजेपी सदस्यता अभियान पर उनकी खोजपरक स्टोरी के लिए दिया गया. पिछले साल बीजेपी ने सदस्यता महाभियान के बाद दावा किया था कि वह दुनिया की सबसे बड़ी सियासी पार्टी बन गई है. पार्टी ने सदस्यता अभियान के तहत हर उस व्यक्ति को अपना सदस्य मान लिया था, जिसने निश्चित फोन नंबर पर उसे कॉल किया था. बाद में उन लोगों से संपर्क करके सूची तैयार करनी थी, जिन्होंने कॉल किया था. जब ऐसे लोगों की तलाश शुरू हुई तो ज्यादातर ‘सदस्य’ मिल नहीं पाए. इसी वजह से इस स्टोरी का शीर्षक दिया गया— बीजेपी: आखिर ‘किससे’ करें महासंपर्क?
स्टोरी को मिली खूब सराहना
इस स्टोरी में यह भी सामने आया कि बीजेपी ने किस तरह नियमों का उल्लंघन करके मोबाइल फोन सेवा प्रदाताओं से नंबर हासिल किए. पाठकों ने इसे खूब सराहा.
संतोष कुमार को इससे पहले 2013 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया का प्रतिष्ठित राजा राममोहन राय नेशनल अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म मिल चुका है.
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