Prist of dalit sawami sahjanand sarswati

 
 

दलितों का संन्यासी

दलितों का सन्यासी प्रेमकुमार मणि महाशिवरात्रि का दिन मशहूर किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्म- दिन भी है . लोग उन्हें भूलने लगे हैं ,लेकिन एक समय था जब इस स्वामी ने देश की राजनीति को अपने तेवर से झकझोर दिया था . 1930 के दशक में देश का राष्ट्रीय आंदोलन जो वामपंथी रुझान लेने लगा था ,उस में स्वामीजी की महती भूमिका थी . रामगढ (अब झारखण्ड ) में 1940 में हुए सुभाष बाबू के समझौता -विरोधी कॉन्फ्रेंस की पूरी तैयारी स्वागताध्यक्ष के नाते इन्होने ही की थीRead More


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