Indian education

 
 

क्या बिना शारीरिक दण्ड के शिक्षा संभव नहीं भारत में!

क्या बिना मारे नहीं पढ़ा सकता शंभुआ! बोधिसत्व मेरे एक अध्यापक थे शंभु नाथ दुबे। वे हमारे गांव के प्रायमरी में पढ़ाते थे। उनका गांव भी एक गांव छोड़ कर पड़ता था। वे हरीपट्टी के हम भिखारी राम पुर के बीच में एक गांव था बनकट। वह भूगोल नहीं बदला है। अब वे शंभु नाथ दुबे गुरुजी शरीर में नहीं हैं। लेकिन मन में हैं! उनकी अकसर याद आती है। वैसे तो अनेक अध्यापक याद आते है लेकिन उनकी याद एक दो विशेष कारणों से आती है! शंभु नाथ दुबेRead More


Share
Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com