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अखबार मरेंगे तो लोकतंत्र बचेगा?

अरुण कुमार त्रिपाठी हम गाजियाबाद की पत्रकारों की एक सोसायटी में रहते हैं। वहां कई बड़े संपादकों और पत्रकारों(अपन के अलावा) के आवास हैं। इस सोसायटी में एक बड़े पत्र प्रतिष्ठान के ही पूर्व कर्मचारी अखबार सप्लाई करते हैं। वे बताते हैं कि कोरोना से पहले लोग तीन- तीन अखबार लेते थे। अब कुछ ने अखबार एकदम बंद कर दिया है और कुछ ने घर में लड़ाई झगड़े के बाद एक अखबार पर समझौता किया है। एक दिन पहले एक बड़े अखबार के बड़े पत्रकार ने बताया कि उनका वेतन एकRead More


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