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रिश्तों के खून से लिखी जा रही बर्बादी की कहानी

अजित कुमार पांडेय, मोहनियां (भभुआ)। रिश्तों के खून से बर्बादी की कहानी लिखी जा रही है। इससे रिश्ते तार तार हो रहे हैं। परिवार तबाह हो रहे हैं। रिश्तों के खून से शर्मसार होती मानवता जनमानस को झकझोर रही है। सगा ही अपनों के साथ दगा कर रहा है। अपने ही अपनों के खून के प्यासे हो गए हैं। जब घर में ही आदमी सुरक्षित नहीं है तो कहां सुरक्षित रहेगा। यह बड़ा सवाल है। हत्या के बाद मृत व्यक्तियों की आत्माएं खून करने वालों से यही सवाल करती होंगी।Read More


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