#जनता की अदालत में लोकतंत्र

 
 

जनता की अदालत में लोकतंत्र, वोटर बना राजा

बीरेंद्र यादव  सोलहवीं लोकसभा के विधायी कार्यों की पूर्णाहुति हो गयी। सोलहवीं लोकसभा के आखिरी सत्र का आखिरी दिन की बैठक भी समाप्त हो गयी। लोकसभा के सभी सदस्य एक-दूसरे को डरे-सहमे मन से बधाई दी और शुभकामनाएं भी। क्योंकि वे अपने ही भविष्य को लेकर सशंकित थे। अब सांसदों के ऊपर से दलीय बंधन समाप्त हो गया है। दल-बदल कानून अगले लोकसभा के गठन तक निरर्थक हो गया है। सांसद नीति, नीयत और निष्ठा सबकुछ बदलने को स‍वतंत्र हो गये हैं। देहाती भाषा में यह भी कह सकते हैंRead More


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