आदिवासियों की सेवा के लिए ठुकराई आईआईटी प्रोफसर की नौकरी

26 साल से गांव में रह कर कर रहे आदिवासियों की सेवा
नई दिल्ली। पढ़ने-लिखने में एक बेहतरीन लड़का आईआईटी दिल्ली का विद्यार्थी है और फिर वहीं का प्रोफेसर, ऐसा आदमी और उसका जीवन किसी के लिए भी आइडियल हो सकता है। वह आदमी जिसने पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन जैसे कितने ही ऊंचे पदों पर काम कर लोगों को पढ़ाया है। ऐसे आदमी को ऐशो-आराम की क्या कमी हो सकती है। लेकिन इस शख्स ने आईआईटी व अमेरिका की प्रतिष्ठित नौकरी को ठोकर मार कर आदिवासियों की सेवा भा गई। यह शख्स है आलोक सागर। आदिवासियों के लिए ऐसे मन बदला कि इन्होंने सब कुछ त्याग कर आदिवासी बाहुल गांव कोचामू को अपना ठिकाना बनाया। पिछले 26 सालों से आलोक आदिवासी बहुल गांव कोचामू में लोगों की सेवा कर रहा है।
नई दिल्ली में जन्मे आलोक सागर ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। इसके बाद आलोक ने यहीं से साल 1973 में मास्टर डिग्री भी हासिल की। आलोक ने अमेरिका के टेक्सास की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी हासिल की और भारत लौट आए। पीएचडी के बाद दो साल अमेरिका में जॉब भी की, लेकिन उनका मन नहीं लगा। साल 1980-81 में आलोक लौट आए और आईआईटी दिल्ली में ही पढ़ाने लगे, लेकिन उन्हें ये रास आने वाला नहीं था। इसी साल उन्होंने रिजर्व बैंक के निवर्तमान गर्वनर रघुराम राजन को भी पढ़ाया।
बैतूल को बनाया ठिकाना
आलोक का मन यहां नहीं लगा और आईआईटी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के बैतूल और होशंगाबाद जिले में बसे आदिवासियों के लिए काम करना शुरू कर दिया। 26 साल गुजर गए आज भी आलोक आदिवासी बहुल गांव कोचामू में रह रहे हैं। करीब 750 की आबादी वाले इस गांव में बस एक प्राइमरी स्कूल है, इसके अलावा यहां ना तो बिजली है और ना ही सड़कें। आलोक यहां आदिवासी बच्चों को पढ़ाते हैं और बाकी समय पौधों और जंगलों की देखभाल में लगते हैं।
लगाए 50 हजार से ज्यादा पौधे
मीडिया रिपोट्स के अनुसार आलोक ने इस इलाके में 50 हजार से ज्यादा पौधे लगाए हैं। आलोक इसे ही देश की सेवा मानते हैं। उनका कहना है कि बड़ी-बड़ी बातों की जगह जमीन पर आकर काम करना ज्यादा जरूरी है। आलोक ने कहा, भारत में लोग कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, मगर हर कोई डिग्री दिखाकर अपनी योग्यता साबित करने में लगा है, ना कि लोगों की सेवा करने में।
बस इतनी है जमापूंजी
आलोक के पास जमापूंजी के नाम पर 3 जोड़ी कुर्ते और एक साइकिल है। वो जिस घर में रह रहे हैं, उसमें दरवाजे तक नहीं हैं। वह हाल ही में तब चर्चाओं में आए थे, जब बेतूल में हुए उपचुनाव के दौरान पुलिस ने उन्हें वैरीफिकेशन के नाम पर थाने बुलवा लिया। मगर उनकी शैक्षणिक योग्यता देखकर सभी हैरान रह गए।






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