यदि चेहरे पर चाहिए जवानी का नूर, खाइए अडहुल का फूल
अडहुल के फूल से छूं मंतर होती है कई बीमारियां
दीना नाथ शास्त्री
अपने आसपास ऐसे कई पौधे और फूल होते हैं, जिन्हें हम केवल अपने घर के आसपास सुंदरता बढ़ाने के लिए ही उपयोग में लाते हैं। लेकिन इनमें कई पौधे व फूल ऐसे भी होते हैं, जो आसानी से भी मिल जाते हैं और उनमें आैषधीय गुण भी भरपूर होते हैं। इनमें ही एक फूल ऐसा भी है, जो शायद आपके आंगन या बाग में भी हो, आपने इसे महज एक फूल ही समझा हो, लेकिन यह फूल कई बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित हो रहा है। इस फूल का नाम गुड़हल है। बिहार में इसे अडहुल बोला जाता है।
गुड़हल का पौधा व इसकी टहनियों में लगे लाल रंग के फूल हर घर की शोभा बढ़ा रहे हैं, लेकिन इस पौधे के गुणों से लोग अनभिज्ञ हैं, जबकि इसकी पत्तियां व फूल जीवनदायनी हैं। गुड़हल की पत्तियों व फूलों के सेवन से अनेकों बीमारियों को घर में ही काबू किया जा सकता हैं। यह एक फूल होने के साथ कई तरह से स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भी परिपूर्ण होता है। गुड़हल के फूल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, खनिज, शरीर को कई बीमारियों से राहत दिलाने में रोगी की मदद करते हैं। इसमें विटामिन सी की मात्रा भी प्रचुर मात्रा में होती है। इस फूल का शरबत व चाय बनाकर भी पी सकते हैं। गुड़हल का फूल हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है।
आयुर्वेदिक चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार इसकी चाय व शरबत का सेवन करना चाहिए। इससे त्वचा संबंधी कई रोगों में मदद मिलती है। इससे झुरिरयों की समस्या भी दूर होती है। यह त्वचा की नमी को दोबारा वापिस लाने में मदद करता हैं। गुड़हल के फूल का प्रयोग घाव को भरने में भी काफी लाभदायक माना जाता है।
गुड़हल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण कई तरह की बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। एटिऑक्सीडेंट हमारे शरीर में मौजूद ऊतकों में फ्री रेडिकल को निष्क्रिय करते हैं ताकि शरीर को कई बीमारियों से बचाया जा सके।
गुड़हल हाई ब्लड प्रेशर को ठीक करने में भी प्रयोग होता है। इसके साथ का एक सबसे प्रभावी उपाय है। इसके साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद करता है। गुड़हल में विटामिन सी और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह बालों की कई परेशानियों से निजात दिलाने में सहायता करता है। गुड़हल के फूलों व पत्तियों का प्रयोग बालों उपचार के लिए किया जाता है। इससे प्राकृति पैक मास्क व तेल बनाया जाता है जो बालों की समस्याओं को दूर करता है। यह बालों को कैमिकल के दुष्प्रभावों को बचाने में मदद करता है।
इसके अलावा गुड़हल की जड़े चबाने से मुहं के छालों से भी राहत मिलती है। इसे सफेद दाग के रोग में प्रयोग किया जा रहा है। गुड़हल के फूलों का शरबत हृदय तथा मस्तिक को शक्ति प्रदान करता है। इसका शरबत प्रतिदिन लेने से शरीर को शीतलता देता है तथा ज्वर, प्रदर, नाक से खून आना, सिरर्दद, दाद आदि रोगों को नाश करता है।
कई रोगों में रामबाण है गुड़हल की चाय
गुड़हल का इस्तेमाल खाने-पीने या दवाओं के लिए किया जाता है। इससे कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और गले के संक्रमण जैसे रोगों का इलाज किया जाता है। यह विटामिन सी, कैल्शियम, वसा, फाइबर, आयरन का बढिया स्रोत है। गुड़हल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग सुंदर हो जाता है। गुड़हल का सबसे अधिक लाभ इसकी चाय से होता है। गुड़हल की चाय एक स्वास्थ्य हर्बल टी है। गुड़हल से बनी चाय को प्रयोग सर्दी-जुखाम और बुखार आदि को ठीक करने के लिए प्रयोग की जाता है। इससे बनी हर्बल टी से हाई ब्लड प्रेशर को कम किया जा सकता है और बढे हुए कोलेस्ट्रॉल को भी घटाया जा सकता है। गुड़हल के फूलों का असर बालों को स्वस्थ्य बनाने के लिये भी होता है। इसे पानी में उबाला जाता है और फिर लगाया जाता है जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। यह एक आयुर्वेद उपचार है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने मे भी किया जाता है। गुड़हल के फूलों को सुखाकर बनाया गया पावडर को पित्त की पथरी को दूर करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। यदि चेहरे पर बहुत मुंहसे हो गए हैं तो लाल गुड़हल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाएं।
क्या कहते हैं चिकित्सक
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. विजेंद्र सिंह का कहना है कि गुड़हल का पौधा और फूल मनुष्य के लिए काफी लाभ दायक है। इसका सभी लोगों को चाय व फूलों का शरबत के रूप में प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने लोगों से आहवान कि औषधीय गुणों से भरपूर गुड़हल के पौधों को अधिक संख्या में लगाए तथा इसका प्रयोग भी करें। लेकिन इसके प्रयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से पराशर्म जरूर लें, ताकि रोग अनुसार इसके सेवन की विधि बताई जा सके।
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर स्थित आयुर्वेदिक शोध संस्थान नेरी के डॉ कमल शर्मा बताते हैं कि गुड़हल एक झाड़ीनुमा पौधा है इसमें साल भर फूल लगे रहते हैं। हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों हमीरपुर, बिलासपुर, कांगड़ा, ऊना व सिरमौर के नीचले क्षेत्रों में हर घर में यह पौधा देखा जा सकता है। यहां के लोग इसे फूल के रूप में प्रयोग करते हैं। इस पौधे के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए मैदानी इलाके में यह पौधा अधिक संख्या में लगा रहे हैं। समशीतोष्ण, उष्ण कटिबंधीय और उर्ध कटिबंधीय क्षेत्रों में इसकी पैदावार अधिक होती है। यह फूल दिखने में सुंदर होने के साथ साथ सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस पौधे से आप कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर से लेकर डायबिटीज आदि की प्रॉब्लम से छुटकारा पा सकते हैं। (इनपुट जागरण से साभार)
« नक्सलियों से AK 47 की डील कर रहे थे IAS के रिश्तेदार (Previous News)
(Next News) सीवान-गोपालगंज में बीजेपी की पोलटिक्स »
Related News
IRCTC आपको सीट चुनने की आज़ादी क्यों नहीं देता ?
क्या आप जानते हैं कि IRCTC आपको सीट चुनने की अनुमति क्यों नहीं देता है?Read More
Comments are Closed