निर्णयों पर प्रभाव डालने वाली सत्ता की आवश्यकता ?

प्रभावी निर्णय लेने और निर्णयों पर प्रभाव डालने वाली सत्ता की आवश्यकता ?
प्रो. विवेक कुमार
—
भारत की प्रथम आदिवासी महिला का राष्ट्रपति पद के लिए नामित होने का स्वागत है. यह भारतीय राजनीति के लिए ही नहीं पूरे भारतीय समाज के लिए एक ऐतिहासिक दिन है. सभी को बधाई.
लेकिन यहां कुछ तथ्यों पर प्रकाश डालना आवश्यक है. पहला, जब कोई तथाकथित सामान्य वर्ग की अस्मिता वाला व्यक्ति भारत का महामहिम राष्ट्रपति बनता है तो समाचार पत्र या टीवी चैनल कभी भी उसकी अस्मिता से जोड़कर उसके पद का विश्लेषण नहीं करते (जैसे यह चौथे ब्राह्मण राष्ट्रपति हैं, यह तीसरे क्षत्रिय या वैश्य मुख्यमंत्री हैं आदि). लेकिन जैसे ही कोई दलित या आदिवासी उस पद पर पहुंचता है तो समाचार पत्र एवं टीवी चैनल, यहां तक की राजनीतिक दल के सर्वोच्च नेता एवं प्रवक्ता उसकी अस्मिता का विश्लेषण कर समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं इसको समझ पाना अत्यंत कठिन. क्या किसी राष्ट्र का राष्ट्रपति दलित या आदिवासी होता है ? क्या वह पूरे राष्ट्र का राष्ट्रपति नहीं होता? सोचिएगा !!!
दूसरी बात यह है कि भारत का राष्ट्रपति चाहे अनुसूचित जाति का हो या अनु. जनजाति का, पिछड़े समाज, या अल्पसंख्यक समाज का बहुतजनों की राजनैतिक ताकत, निर्णय लेने की क्षमता, और किसी प्रकार की सत्ता- राजनीतिक,न्यायिक, कर्मचारी तंत्र, आर्थिक, सामाजिक आदि को प्रभावित करने में कोई फर्क नहीं पड़ता. इसलिए बहुजन समाज को सर्वोच्च पद नहीं प्रभावी सत्ता चाहिए जिससे वह आत्मनिर्भर रूप से अपने समाज के पक्ष में निर्णय लेकर उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सके.
Related News

महाकुंभ में साकार है भारत
महाकुंभ में साकार है भारत। दिलीप मंडल महाकुंभ इतना विशाल है कि इसके अंदर कईRead More
बीजेपी क्या है ? क्या है बीजेपी ?
बीजेपी क्या है ? क्या है बीजेपी ? दिलीप मंडल – बीजेपी ओबीसी को समुचितRead More
Comments are Closed