नेताओं के साथ फोटो का शौक़

नेताओं के साथ फोटो का शौक़:

Gopeshwar Singh

स्वतंत्रता आंदोलन के समय की बात है। एक पढ़े लिखे नौजवान का मन हुआ कि काश महात्मा गांधी के साथ उसकी तस्वीर होती!
लेकिन समस्या थी कि गांधी जी तक वह पहुंचे कैसे? उसे मालूम था कि गांधी जी से मिलना और फोटो लेना बिल्कुल आसान नहीं है। उसने एक तरकीब निकाली। वह कांग्रेस सेवादल का निष्ठावान कार्यकर्ता बन गया। कुछ वर्षों बाद बिहार में जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रांतीय अधिवेशन हुआ जिसमें गांधी जी शामिल होने वाले थे, तो किसी नेता से कहकर उसने उसमें अपनी ड्यूटी लगाई। सेवादल के कार्यकर्ता के रूप में सम्मेलन में कहीं भी आने-जाने की छूट थी। जब गांधी जी मंच पर बैठे थे और कोई नेता बोल रहे थे तब वह मंच पर गया। वह गांधी जी के पास गया और उनके कान के पास झुकते हुए उसने पूछा- ‘आपको पानी चाहिए’? गांधी जी ने उसकी ओर झुकते हुए उसके कान में कहा – ‘नहीं। अभी पानी नहीं चाहिए’।
उस नौजवान ने पैसे देकर कैमरा मैन से बात कर ली थी। उसने दो तस्वीरें लीं। एक जब वह गांधी जी के कान में कुछ कह रहा है और दूसरी जब गांधी जी उससे कान में कुछ कह रहे हैं। इन तस्वीरों से कोई भी भ्रम में पड़ सकता था कि वह गांधी जी के बहुत क़रीब है। बहरहाल, उसने जीवन भर किसी दूसरे नेता के साथ तस्वीर नहीं खिंचाई। सीने से गांधी जी वाली तस्वीर चिपकाए रहा और कांग्रेस का झंडा उठाए स्वतंत्रता के नारे लगाता रहा।
इस घटना का उल्लेख मेरे अध्यापक और हिंदी के प्रसिद्ध आलोचक नंद किशोर नवल ने एक बार किया था।
आज आए दिन हिंदी के बहुत से अध्यापकों को देखता हूं कि बड़े तो बड़े छोटे मोटे नेताओं के भी साथ फोटो खिंचवाने के लिए वे लालायित रहते हैं। फोटो लेकर सोशल मीडिया पर डालते रहते हैं कि आज अमुक का सानिध्य मिला। मुझे यह सब अध्यापक समाज की गरिमा गिराने वाला लगता है। मेरा प्रश्न है कि अध्यापक के भीतर किसी नेता के साथ फोटो खिंचवाने की इच्छा क्यों होनी चाहिए? उसे किसी विद्वान, किसी लेखक, किसी वैज्ञानिक आदि का सानिध्य क्यों नहीं चाहिए? क्या उस नेता ने सम्मानपूर्वक आपके साथ फोटो का प्रस्ताव रखा? या आप लपक गए? ठीक लगे तो कभी अकेले में सोचिए।
शिक्षिक को अपना सम्मान बनाए रखना होता है। सोचिए कि किन-किन लोगों के साथ फोटो खिंचाना चाहिए ,किनके साथ नहीं।

तस्वीर और तस्वीर में कितना फर्क होता है। गांधी जी वाली तस्वीर ने उस नौजवान की दिशा बदल दी। अपनी तस्वीर के बारे में ख़ुद से ही हम पूछें।

हिंदी अध्यापक होने के कारण अधिकार मानते हुए ऐसा लिख दिया। आगे आपकी मर्जी।😊






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