यही विकास है। यही विनाश।

संजय तिवारी
मोदी सरकार ने हाईवे बनाने के लिए बजट में 1 लाख 8 हजार करोड़ रूपये दिये हैं। ये पैसा किसका है? हमारा और आपका। टैक्स के इस जीएसटी काल में जब हम किसी मरनेवाले के लिए कफन भी खरीदने जाते हैं तो सरकार को टैक्स वसूलने के लिए खड़ा पाते हैं। अब सांस लेने पर टैक्स नहीं है वरना सामान्य जीवन में कोई ऐसा कार्य नहीं बचा जहां सरकार हमसे टैक्स वसूली न करती हो। मोदी जी की कृपा रही तो वह समय भी जरूर आ जाएगा जब आपको सांस लेने या जिन्दा रहने का टैक्स भी चुकाना पड़ेगा।
खैर, ये टैक्सखोर सरकार जो बच्चे के दूध से लेकर मरनेवाले के कफन तक टैक्स वसूल रही है उसने हमारे आपके पैसे से ही सडक बनाने के लिए एक लाख करोड़ दे दिया। अच्छी बात है। सड़क अच्छी होनी ही चाहिए। लेकिन जब ये सडक बन जाएगी तो सरकार अलग से सड़क बनाने के नाम पर अलग से टोल टैक्स वसूलेगी। अर्थात जनता के पैसे से बननेवाली सड़क पर जनता टोल टैक्स चुकायेगी तब चल पायेगी।
यही भारत का विकास है जहां चारो तरफ बाड़ लगाकर जनता की घेरेबंदी की जा रही है। उसे गुलाम बनाया जा रहा है। जनता जिन्दा रहेगी तो सिर्फ टैक्स भरने के लिए। एक सामान्य मनुष्य कभी अपने लिए जीवन ही नहीं जी पायेगा। पैदा होने से लेकर मरने तक पग पग पर वह सिर्फ ईएमआई, टैक्स चुकायेगा और अंत में अपनी अतृप्त इच्छाओं के साथ संसार से विदा हो जाएगा।
यही विकास है। यही विनाश।
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