क्या आप जानते हैं ! हर दिन बलात्कार के 293 मामले

मैं कहता आंखन देखी :  – इट हैपेंस ओनली इन इंडिया
– नवल किशोर कुमार
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध के 3 लाख 39 हजार 457 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 3 लाख 29 हजार 243 रहा। जबकि वर्ष 2016 में यह आंकड़ा 3 लाख 38 हजार 954। इसमें बलात्कार का आंकड़ा वर्ष 2014, वर्ष 2015 और वर्ष 2016 में क्रमश: 89 हजार 423, 94 हजार 172 और 1 लाख 6 हजार 958 है।

वर्ष 2016 के आंकड़े को ही आधार मानते हैं। प्रतिदिन के हिसाब से 293 बलात्कार। यह आंकड़ा विश्व में सबसे अधिक है। यह आंकड़ा कई सवाल करता है। हमलोगों से और जाहिर तौर पर हमारी सरकार और न्यायपालिका से भी।

हमलोगों से सवाल इसलिए कि हम खुद को इंसान कहते हैं। मिथकों के रूप में ही सही महिलाओं को शक्ति का प्रतीक मानते हैं। फिर 293 महिलाओं के साथ बलात्कार हर रोज।

जानते हैं बलात्कार की पीड़िताओं की उम्र क्या है? एनसीआरबी का आंकड़ा ही बताता है कि वर्ष 2016 में 6 साल से कम उम्र की मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार के कुल 520 मामले दर्ज हुए। 6 से 12 वर्ष की आयु की 1596 बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ। 45 से 60 साल की आयु के बीच की 494 महिलाओं के साथ बलात्कार किसी पड़ोसी मुल्क में नहीं बल्कि हमारे अपने देश में हुआ। वही देश जिसके लिए वंदे मातरम नहीं गाने पर मुसलमानों को बेइज्जत किया जाता है। अगला आंकड़ा आपको सोचने पर मजबूर कर देगा कि हम भारत के लोग किस प्रवृति के हैं। साठ साल से अधिक उम्र की महिलाओं के साथ भी बलात्कार होते हैं। वर्ष 2016 में बलात्कार के ऐसे मामलों की संख्या 57 रही।

सोचिए कि ऐसा क्यों है? क्या कहा आपने कि अपराध तो हर जगह होते हैं। सही कहा आपने। लेकिन ऐसे अपराध?

माफ करिए, आपका समर्थन नहीं कर सकता। मेरे हिसाब से तो इसकी वजह ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक समाज है जो हिन्दू धर्म की बुनियाद है। यहां उस विष्णु की पूजा होती है जो जालंधर नामक असुर की पत्नी का बलात्कार करता है और लोग पीड़िता तुलसी की शादी विष्णु से कराते हैं। महिलाओं का शील भंग करने वाला कृष्ण आदर्श पुरूष माना जाता है। राम का चरित्र भी साफ-सुथरा नहीं है.

जाहिर तौर पर जब समाज के आदर्श ऐसे होंगे तो चिन्मयानंद, आसाराम और रामरहीम जैसे लोग भी होंगे। याद रखिए बलात्कार की हर घटना हम भारतीयों की सभ्यता और संस्कृति पर सवाल उठाती है।

आइए, भारतीय समाज के इस कचरे को साफ करें। आंबेडकर ने भी एनिहिलेशन ऑफ कास्ट में कहा है। हिन्दू धर्म को डायनामाइट लगाकर उड़ा देना चाहिए।






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