सवाल है भोजपुरी फिल्मों पर क्या लिखें ?

Dhananjay Kumar

कई लोग सवाल कर रहे हैं कि भोजपुरी फिल्मों पर आप इनदिनों क्यों कुछ लिख नहीं रहे? मैंने जवाब दिया, मेरे लिखने जैसा क्या बचा है ! मैंने जब भी लिखा, उसके रचनात्मक पक्षों पर बात करने के लिए लिखा, लेकिन विकट स्थिति ये रही कि भोजपुरी फिल्म समाज को रचनात्मक पक्ष से कोई लेना देना ही नहीं है. दर्शक स्टार को देखना चाहते हैं, डिस्ट्रीब्यूटर स्टार की फिल्म लगाना चाहते हैं, प्रोड्यूसर स्टार की फिल्म पर पैसा लगाना चाहते हैं, निर्देशक स्टार के पीछे भागते हैं और स्टार अपने स्टेज शो की लोकप्रियता के वशीभूत हैं, उन्हें अच्छी स्क्रिप्ट, अच्छे तकनीशियन से कोई लेना देना नहीं. उन्हें चमचे चाहिए, अपनी मुंहमाँगी कीमत चाहिए और मनमाफिक हीरोइन चाहिये.
बहरहाल, स्थिति ऐसी है कि बुद्धि और समझ की बात करना बेमानी है, बस कलेक्शन की बात कीजिये.
कलेक्शन जरूरी है, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है फिल्म का अच्छा होना. हिन्दी फिल्मों के बाद भारत में सबसे बड़ा दर्शक वर्ग भोजपुरी फिल्मों के पास है. कमसे कम 15 करोड़ लोग इसके दर्शक हैं ! लेकिन भोजपुरी फिल्मों का कलेक्शन डेढ़ करोड़ भी बमुश्किल पा पाता है, ये भी सच्चाई है ! अब ऐसे कलेक्शन पर क्या लिखा जाय ? हिन्दी फिल्म दंगल ने चीन में हजार करोड़ से ऊपर का बिजनेस किया ये जरूर लिखा जाने वाला विषय है, लेकिन कोई फिल्म किसी एक सिनेमा हॉल के नून शो में कितना बिजनेस किया, इस पर क्या लिखें ?
हालांकि, आज की भोजपुरी फिल्म पत्रकारिता इसी पर टिकी है. सारी बहस यही है कि किस फिल्म का कहाँ कितना कलेक्शन हुआ?! फिर संबंधित फिल्म से जुड़े लोग गालीगलौज करते हैं, फिर पत्रकार भी जवाबी गाली देते हैं. तो ये है आज की भोजपुरी फिल्म पत्रकारिता ! मैं इसमें अपने आप को कहीं रख नहीं सकता. न तो ये पत्रकारिता है और न ही फिल्म मेकिंग. ये सॉलिड चूतियापा है. और मैं इससे दूर ही ठीक हूँ.
मूल रूप से मैं आशावादी व्यक्ति हूँ. और मानता हूँ ये परिदृश्य बदलेगा. जैसे मराठी, पंजाबी और साउथ की भाषाओं में अच्छी फ़िल्में बन रही हैं. दर्शकों का प्यार पाने के साथ-साथ समीक्षकों और सरकार से भी सराही पुरस्कृत की जा रही हैं, वो स्थिति एक दिन भोजपुरी सिनेमा में भी आनेवाली है. मैं उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ. तब मैं स्क्रिप्ट्स भी लिखूंगा और आलेख भी. और सिर्फ मैं क्या पूरे देश का मीडिया लिखेगा.

Dhananjay Kumar






Related News

  • इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
  • कहां जाएगी पत्रकारिता..जब उसकी पढ़ाई का ऐसा हाल होगा..
  • क्या बिना शारीरिक दण्ड के शिक्षा संभव नहीं भारत में!
  • कोसी में रहना है तो देह चलाना सीखो !
  • पटना फ्लाईओवर के मामले में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की तरफ
  • प्रेम का नया वर्जन
  • ऑपरेशन थियेटर में बापू के दुर्लभ चित्र
  • पुरुष के मन की वासना को मार देता है भारतीय नारी का सौंदर्य
  • Comments are Closed

    Share
    Social Media Auto Publish Powered By : XYZScripts.com