बेटा घोड़े की ताकत बढ़ाने वाला इंजेक्शन लगा कर करता था मजदूरी, वह मर गया, हम बाजार से कुछ खरीद नहीं सकते, इसलिए चूहा खाना जरूरी है

एक जीवट महादलित की बातचीत जो हर किसी को झकझोर दे
अंशुमान (उपाध्यक्ष, पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ)
बिहार कथा
जिला जुमई के सिकदरा ब्लॉक में भुल्लो पंचायत के गांव लदुआड़ के खेतों में काम कर रहे एक महादलित पैरू मांझी से मुलाकात हुई। उन्हें अच्छी बातचीत भी हुई। ये पैरू माक्षी मजदूरी का काम करने के बाद चूहा पकड़ने का औजार बनाते हैं। ये काफी से खुशी का इजहार करते हुए कहते हैं कि हमारी भोजन में चूहा का मांस जरूरी है। हमलोग रोज बाजार से खरीद कर कहां से खा सकते हैं। इनकी उम्र हमने नहीं पूछा लेकिन अनुमान है कि साठ साल से कम के भी नहीं होंगे। पैरू कहते हैं कि हम दिन भर काम करता हूँ लेकिन अब हम काफी थक जाते हैं बच्चे हमारे सब अलग है। मेरी पत्नी सागो देवी वह भी बीमार रहती है। दिन भर काम से जो मजदूरी मिलती है, उसकी घर का दवाई खाना का इंतजाम होता है। जब उनसे पूछा कि क्या सरकार की ओर से आपको को सहायता राशि नहीं मिलती तो उन्होंने तपाक से जवाब दिया, मिलता है क्या? हमको तो नहीं पता है। सब तो बड़े बड़े ही लोग खाते है। साथ ही वे यह भी बताते हैं कि सरकार की ओर से उन्हें घर मिला था, लेकिन बेटे ने उस पर कब्जा कर लिया। गांव के अन्य लोगों से पूछने पर बताया कि यहां के अधिकतर लोग कानपुर या कलकत्ता चला गया। कुछ लोग कुली का काम करता है जो कोलकता में है। ये बड़े बड़े आदमी का समान लेकर स्टेशन से बस स्टेट तक पहुँचाने का काम करता है।
पैरू की एक बात ने तब दिल को झकझोर दिया, जब उन्होंने बताया कि उनका एक बेटा मजदूरी करते करते कर गया। मौत का कारण जाना तो रोते रोते बताया कि वह काम करते करते काफी कमजोर हो गया था, लेकिन अपनी ताकतों को बरकरार रखने के लिए घोड़ों को दिया जाने वाला इंजेक्शन लेना शुरू कर दिया था। यह इंजेक्शन कोलकता में गरीब मजदूर सभी में फेमस है। उसके लेने के बाद आदमी को कमजोरी नहीं बूझाता है। हम ये बात सुनकर दंग रह गये। मन में हजारों सवाल एक साथ खड़े हो गए। क्या आदमी पशु से भी खराब जिंदगी जीने को विवश है? क्या मजदूर आदमी की श्रेणी में नहीं आता? क्यों घोड़ों की ताकत की सुई लेकर मजदूर मजदूरी करने को विवश है। फिर भी लाखो दु:ख का पहाड़ देखते हुए पैरो माझी की मुस्कुराहट जिंदगी में एक नए उत्साह का संचार करती है, जिंदगी जीने का हौसला उत्पन्न करती है और एक साहस भी।
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