बाहुबलियों की गोदी में सत्ता की मलाई चाट रहे हैं गोपालगंज भाजपा नेता!
गोपालगंज जिला भाजपा ईकाई पर सोशल मीडिया में एक अच्छी बहस चल रही है। भाजपा समर्थक जिले के एक युवा इंजीनियर ने गोपालगंज भाजपा नेताओं पर अपने फेसबुक वॉल पर काफी तल्खी से खीज जाहिर की है। टाइमलाइन की पूरी बात पढिए….
राघव सिंह, गोपालगंज।
जब मैं 7वीं क्लास में था तो एक मूवी आयी संजय दत्त की कुरुछेत्र उस मूवी के अंत में यही दिखता है सामने से तो सत्ता और विपक्ष एक दूसरे के विरोधी है, लेकिन जहा आम जनता को लूटने की बात आती है दोनों एक हो जाते हैं। उस समय लगता था ये सब काल्पनिक बाते हैं सच्चाई से इनका कोई सरोकार नहीं है। लेकिन आज गोपालगंज बीजेपी को देख कर ऐसा लगता है फिल्मे सच में समाज का एक आईना होती है। तात्कालिक गोपालगंज बीजेपी जिला कमेटी के बहुत सारे ऐसे लोग बीजेपी का जिले में प्रतिनिधत्व कर रहे हैं जिनका वास्तविक काम जिले में सत्ताधारी बाहुबली लोगो के लिए वोट मैनेजमेंट से ले कर उनका ठेका करवाना है। बीजेपी हमेसा आंदोलन की पार्टी रही है। लेकिन तात्कालिक हालातों को देख कर लगता है पार्टी में दलाली अधिक हावी है। क्या ऐसे लोग समाज या पार्टी को सही दिशा दे सकते हैं जो स्वयम सत्ता के गोद में अटखेलिया कर रहे हो। क्या ऐसे लोग सत्ता के विरोध में कभी आवाज बन सकते है जिनका काम है सत्ताधारी के यहाँ जा कर दरबार लगाना। आज बीजेपी के जिले का कद्दावर नेता पुत्र अगर सत्ता के साथ मिल कर ठीकेदारी करवा रहा है, क्या जनता ऐसे लोगो से आशा कर सकती है ये सत्ता के जुल्मो ंके खिलाफ आवाज बनगे ! ऐसे लोग क्या कभी चाहेंगे की बीजेपी गोपालगंज सही में दीनदयाल के आदर्शो पर चलने वालो के हाथो में जाये। आज गोपालगंज जिला कमिटी ऐसे लोगो के हाथ बैठी है जो सत्ता की मलाई चाटने में बिजी है। जिले में ऐसे कार्यकर्ता अपना सम्मान खोते जा रहे है जो पूरी निष्ठा के साथ पार्टी से जुड़े हुए है। पार्टी में ठेकेदारो और दलालो का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। लेकिन मुझे महाभारत के एक संद्धर्भ याद आता है जब परछाई शरीर से अधिक बड़ी होने लगे समझ जाना की सूर्यास्त होने वाला है। लेकिन अटल बिहारी के आदर्शो पर चलने वाली पार्टी का मूलमंत्र भी यकायक याद आता है “अँधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा “
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