बदहाली पर आंसू बहा रहा गोपालगंज
दीपक द्विवेदी, कुचायकोट (गोपालगंज)
गोपालगंज जिले के राजनीतिक इतिहास के पन्ने खंगाले तो यहां बहुत बड़े बड़े चेहरों ने राजनीति मे अपनी पहचान बनाई है। बिहार को गोपालगंज ने तीन मुख्यमंत्री दिए। परंतु इनसे गोपालगंज को कितना लाभ हुआ यह किसी से छिपी बात नहीं है। अब्दुल गफूर से लेकर लालू रबड़ी ने वर्षों तक बिहार में राज किया। देश की पहली पोस्ट ग्रेजुएट महिला भी गोपालगंज से थी। यह बताते हूबे मुझे बहुत बुरा लग रहा है की यहा महिला साक्षरता दर 32. 3 % है। गोपालगंज की कुल आबादी 2152638 लाख है। इतनी बड़ी आबादी पर केवल चार ही डिग्री कॉलेज है। एक सदर अस्पताल के भरोसे पूरे जिले की स्वास्थ्य सुविधा है। 3 रेफरल हॉस्पिटल है। सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त महज तीन ही निजी स्कूल हैं। टेक्निकल स्कूल सिर्फ 2 हैं। गोपालगंज आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। इसके विकास के लिए आज बहुत कुछ करने की जरूरत है। परंतु गोपालगंज का विकास राजनीतिक अपराधियों के भंवर में फंसी है। यहां की राजनीतिक का विजन सिर्फ जाति पर आधारित है। यहीं कारण है कि वर्षों से यहां के युवाओं का पलायन जारी है। गोपालगंज के युवाओं की बड़ी तादात अपने परिवार से दूर रोजी रोटी के लिए सात समुंदर पा खाड़ी देश में जाकर मेहनत करने को विवश है। अपराधियों को यहां राजनीतिक संरक्षण मिलने से वो जाति के नाम पर लोगों को हमेशा ही गुमराह करते रहे हैं। आज गोपालगंज के युवाओं को आगे आकर जिले के हालात सुधाने के लिए हिम्मत दिखानी होगी। यदि युवा शक्ति जागेगी तभी बिहार के गोपालगंज एक आदर्श जिला के रूप में स्थापित हो सकेगा।
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