बिहार में सारे मिथक टूटने वाले हैं: भूपेंद्र यादव
बीजेपी का लिटमस टेस्ट बिहार है जहां इसी साल विधानसभा चुनाव होना है. प्रदेश में पार्टी की तैयारियों पर बीजेपी के बिहार प्रभारी महासचिव भूपेंद्र यादव ने संतोष कुमार से बातचीत की:
मिशन बिहार के लिए बीजेपी के खास मुद्दे क्या होंगे?
-बिहार में सुशासन की राजनीति की जरूरत है. बीजेपी के साथ जेडी(यू) ने जब चुनाव लड़ा था तब भी मुख्य रूप से मुद्दा यही था कि वहां कानून का राज स्थापित करने वाली सरकार हो और बीजेपी ने उस विकासवादी सोच को शासन में रहते हुए हमेशा आगे बढ़Þाया. आज पुनरू बिहार को सुशासन वाली सरकार की आवश्यकता है और बीजेपी ही सबसे बेहतर विकल्प है.
बिहार में आरजेडी-जेडी(यू) का महागठजोड़ हुआ और अब उसके विलय की भी चर्चा है. कैसे मुकाबला करेंगे?
-महागठजोड़ बनने के बाद लोकसभा के चुनाव आए और झरखंड विधानसभा का चुनाव हुआ. चूंकि महागठजोड़ किसी वैचारिक आधार, किसी ठोस सुशासन की नीति और विश्वसनीयता के नेतृत्व के अभाव का गठजोड़ है.
दिल्ली की तरह क्या बिहार में पार्टी कोई चेहरा सामने रख चुनाव लड़ेगी?
-हर प्रदेश के चुनाव का अपना तरीका होता है, अभी सब विषयों पर निर्णय का अधिकार बीजेपी संसदीय बोर्ड के पास है. राज्य इकाई टीम बिहार के रूप में 185 सीटों के लक्ष्य के साथ काम कर रही है, वही अभी एकमात्र रणनीति है.
हाल ही में नेतृत्व को लेकर काफी बयानबाजी हुई. गुटबाजी कैसे रोकेंगे?
-ऐसा कोई विषय नहीं है और पार्टी के भीतर कोई गुटबाजी नहीं है. कभी किसी के बयान को प्रेस ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया तो अलग बात है, लेकिन पार्टी फोरम पर सबने स्थिति स्पष्ट कर दी है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव नतीजों का असर बिहार के चुनाव पर दिखेगा?
-चुनाव के परिणामों का सकारात्मक असर हमेशा पड़ता है.
बिहार में जाति फैक्टर चुनाव में काम करता है. क्या रणनीति होगी?
-बीजेपी में सभी समाज और वर्गों के लोगों का समान प्रतिनिधित्व रहता है. हम सभी वर्गों का सामाजिक संतुलन रखते हुए एक सर्व-समावेशी विकास के मॉडल को अपनी सरकार के रूप में प्रस्तुत करते हैं.
मोदी लहर के बावजूद तीन महीने बाद विधानसभा के उपचुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. क्या कसर रह गई थी?
-सभी विषयों पर पार्टी लगातार एक जीवंत पार्टी के रूप में सेवा का काम करती है. परिणाम जिस प्रकार के भी आएं सभी परिणामों की समीक्षा की जाती है और जनता के साथ संवाद, समन्वय और उनकी सहभागिता पार्टी में बनी रहे इस पर हम विचार करते हैं. इसलिए सबका विश्लेषण करके ही रणनीतियों का संचालन करते हैं.
आप जिस समुदाय से आते हैं वह बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाता है और लालू यादव उस वोट पर अपना दावा करते हैं तो क्या पार्टी यादव चेहरों पर ज्यादा दांव लगाएगी?
-मैं एक पार्टी के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता के रूप में काम करता हूं. मुझे जो भी दायित्व दिया गया, वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का निर्णय है. लेकिन जहां तक लालू यादव की बात है तो उन्होंने कितना काम किया है यह लोग जानते हैं. सारे मिथक टूटने वाले हैं, समाज एक नई दिशा और परिवर्तन की ओर जाने वाला है.
झारखंड में बीजेपी ने पहली बार आदिवासी की जगह एक पिछड़े वर्ग के नेता को सीएम बनाया. क्या बिहार में भी मिथक तोड़ेंगे?
-अभी सीएम के लिए कोई विचार नहीं हुआ है और न ही अभी यह कोई विषय है.
Related News

महाकुंभ में साकार है भारत
महाकुंभ में साकार है भारत। दिलीप मंडल महाकुंभ इतना विशाल है कि इसके अंदर कईRead More

इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती पर विशेष सबसे कठिन जाति अपमाना / ध्रुव गुप्त लोकभाषाRead More
Comments are Closed