जीतन राम मांझी के रैली में कितने लोग आये,,,,

जीतन राम मांझी के रैली में कितने लोग आये,,,, रैली फ्लाफ रहा,,,, रैली बहुत कुछ कह गया, जैसे सवालो को लेकर पिछले दो दिनों से मैं परेशान हूं क्या जबाव दू,,,,,पदाधिकारी के मेज से लेकर चाय के दुकान तक बस यही चर्चा है मांझी के रैली टाय टाय फिस रहा।।।
हलाकि मांझी के रैली को कभर करने कि जिम्मेवारी मेरी नही थी लेकिन रैली की सुबह से ही भाजपा के विधायको की बैचेनी देख कर दोपहर बाद मैं खुद रैली स्थल पर गया,,,,भाजपा के विधायक ये जानने के लिए उत्सुक थे कि रैली में कितने लोग आये हैं,,,जदयू के भी कई विधायको का भी फोन आया पांच लाख पहुंचा कि नही संतोष जी सवाल पुछुए राजनीत से सन्यास ले रहे हैं एक मंत्री जी ने तो यहां तक कह गये कि मांझी माफी मांगे तो उनके जदयू में शामिल होने पर विचार कर सकते हैं हमलोग।।।।
इस राजनीत पर फिलहाल मेरी कुछ खास प्रतिक्रिया नही है लेकिन रैली की कुछ दुर्लभ तस्वीर आपको दिखा रहे हैं रैली में भीड़ कितनी थी इस पर बहस करिए।।।।। लेकिन रैली में जो लोग आये थे वह कुछ ऐसे संकेत छोड़ गये हैं जो बता रहा है कि बिहार एक और समाजिक परिवर्तन की और काफी तेजी से बढ रहा है,,,,इसको अब रोका नही जा सकता है अब इसे भी सत्ता में हिस्सेदारी चाहिए,,,,,,,, चिलचिलाती धूप में गंदे नाले की पानी पीकर मांझी जिंदावाद भाड़े पर लाये गये लोग नही हो सकते सोचिए भीड़ भले ही हजार में रही होगी लेकिन भीड़ का 95 प्रतिशत हिस्सा गरीबो का था जिसके तन पर कपड़े नही थे लेकिन सिर पर हम टोपी जरुर था,,,,लालू प्रसाद को छोड़ कर कोई भी राजनैतिक दल मांझी को गम्भीरता से नही ले रहा है।।।।।।
बीजेपी पिछड़े राजनीत के कोख से बाहर निकलने को तैयार नही है उन्हे लग रहा है कि कही मांझी दूसरा मयावती ना साबित हो जाये ।।।।।जदयू सोच रही है काम के बल पर इस समाजिक बदलाव को रोक लेगे देखिए आगे आगे देखिए होता है ।।।।। लेकिन यह तय है मांझी इस बार बिहार विधानसभा चुनाव मे तुरुप का एक्का साबित होगा,,,,, जिस और गया गरीब उसके साथ होगा यह संकेत साफ दिख रहा है।।।।। इस बार चुनाव बिहार में कुछ इसी अंदाज में होने जा रहा है हलाकि भाजपा और जदयू इसे रोकने के लिए सब कुछ दाव पर लगाये हुए हैं भाजपा चाहती थी कि मांझी की रैली में लाखो लोग आये लेकिन तय नही कर पाया कि साथ दे या ना दे ये दुविधा कही माया मिले ना राम वाली ना हो जाये।।।
लालू इस गणित को पूरी तौर पर समझ रहा है और यही बजह है कि वो विलय पर बड़ी बड़ी बाते जरुर कर रहा है लेकिन मांझी को लेकर खेल भी चल रहा है।।।लालू का गणित साफ है मांझी साथ आये तो बिहार को एक बार फिर हासिल किया जा सकता है,,,और ये बहुत मुश्किल भी नही है गरीबो में जितना आक्रोश दिख रहा है ऐसे में बिहार का इतिहास उलटी दिशा में चल दे तो कोई बड़ी बात नही होगी।।।। https://www.facebook.com/santoshsingh.etv?fref=ts






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