किसान के समस्या को लेके केंद्र सरकार गंभीर नहीं

निखिल मंडल, बिहार प्रदेश प्रवक्ता जद(यू)

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निखिल मंडल, बिहार प्रदेश प्रवक्ता जद(यू)

अगर बात आर्थिक संकट के असर का हो तो ये सबसे अधिक कृषि क्षेत्र पे हुआ है। पिछले दो वर्षो के दौरान अधिकांश राज्यों में सूखे की स्तिथि रही।आकड़ो के हिसाब से हर आधे घंटे पर एक किसान आत्महत्या करने पे मजबूर है। देश के आधे से अधिक किसान कर्ज में डूबे है। हरेक पे औसतन 47 हजार का कर्ज है।फिर भी कृषि का बजट अपयार्प्त है। उर्वरक पे अनुदान घटा दिया गया है। सिंचाई का बजट कम कर दिया गया है। भाजपा सरकार भारत में जीएम शीड्स (जेनेटिकली मोडिफाइड बीज) लाना चाहती है।हाल में सरसों की खेती में इस बीज के प्रयोग के प्रयास हुए जिसका जदयू ने पुरजोर विरोध किया।क्योंकि स्वास्थ व पर्यावरण पर इसका प्रभाव के बारे में स्पष्टता नहीं है, न ही इसका कोई सबूत कि इससे उत्पादकता बढ़ी है। किसान और मजदुर भाजपा सरकार की प्राथमिकता में नहीं है।सत्ता में आते भाजपा ने उद्योगपतियों के पक्ष में किसानों की जमीन अधिग्रहित करने कइ लिए काला कानून बनाने की पहल की जिसका जदयू ने पुरजोर विरोध किया था। हैरत की बात है जिस भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता हो वहा किसान के समस्या को लेके केंद्र सरकार गंभीर नहीं है।2016 के आर्थिक सर्वे से पता चलता है की 17 राज्यों में मंझोले किसानों की औसत वार्षिक आय सकल उत्पादन लागत के आधार पर 20 हजार रूपये से कम है।
किसान आत्महत्या का मुख्य कारण ढूंढे तो कर्ज एक मुख्य कारण है।गरीब किसान कर्ज लेके खेती करते है कभी सुखार कभी बाढ़ कभी ओले कई तरह के प्राकृतिक कारण से फसल बर्बाद हो जाती है कर्ज लौटाना तो दूर खाने के भी लाले पर जाते हैं।ऐसे में केंद सरकार को कर्ज माफ के लिए प्रावधान करना चाहिए। आकड़े कहते की एक किसान की सालाना आय 20 हजार है और जेटली जी कहते है की किसान की आय को दुगुनी कर दूंगा।अगर मान भी लू की दुगुनी हो जाएँगी तो क्या 40 हजार में साल गुजार लेंगे किसान? जहा महंगाई 1 का 5 हो चुकी है वहा 1 का 2 करना किसान के साथ मजाक करना ही माना जायेगा। नरेंद्र मोदी जी जब से प्रधानमंत्री बने है किसान के आत्महत्या का आकड़ा 21% बढ़ा हैं। आकड़ा गवाह है की 60% किसान आज कर्ज में दुबे हैं।केंद्र सरकार को कारगर उपाय जैसे फसल बीमा पे ध्यान देना चाहिए साथ ही जो भी योजना लाया जा रहा हो उसकी प्रक्रिया जटिल न होके सरल होनी चाहिए ताकि भोले भाले किसान योजनाओ का लाभ उठा सके।






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