प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक पहेली

rahul kumar singh SGTB DU khalasa collegeराहुल कुमार सिंह

“उनकी शख्सियत की ये खासियत है कि या तो लोग उन्हें बेपनाह मोहब्बत करते हैं या यूँ कहें ब्लड प्रेशर बढ़ा लेने की हद तक नफरत। सब कुछ एक्सट्रीम है, बीच में कुछ नहीं जिसे न्यूट्रल कहा जाये। उनकी सोच कुछ बुश टाइप है, कि जो उनके साथ नहीं, वो उनके खिलाफ है। वो हरदम आत्मगौरव से लबालब दिखते हैं और आत्ममुग्धता से भी। वो यूथ आइकॉन हैं।उन्हें उपदेश देने का शगल है और बोलते रहने का शौक।। उनके पास हर मर्ज की दवा है। कुछ तो ये भी मानते हैं की जादू की छड़ी भी है। वोजिस पर कृपादृष्टि रख दें, उसका जीवन और जीने का मकसद सफल हो जाता है।। उनकी नजर-ए-इनायत हर ख़ासोआम पर है। वो यहाँ हँसते हुए कम, बाहर मुस्कराते हुए ज्यादा पाये जाते हैं। वो बहुत सेलेक्टिव हैं मसलन किस पर बोलना है किस पर नहीं, किसे देखना है किसे नजरंदाज करना है। वो अगर हाथ मिला लें, तो जख्म करने तक नहीं छोड़ते, ‘ये हाथ नहीं हथकड़ी है ‘ टाइप। उनका फुल कॉन्फिडेन्स के साथ कुछ भी बोलना इम्प्रेस करता है। वो बोलने पर आ जाएँ तो चाँद को सूरज और सूरज को चाँद भी बोल सकते हैं। वो बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं, कुछ विरलय ही होते हैं। अब तो कुछ ने उनमे कौटिल्य जैसा राजत्व में देवत्व ढूंढ निकाला है, माने प्रजा के दुःखो को हरने वाला, जिसे देवताओं ने धरती पर उतारा हो। वैसे ये तो पुराने टाइम से ही बेवकूफ बनाने का प्योर भारत मार्का नुस्खा है। लेकिन काटजू तो यही बोलते हैं, कि भारत में 90% मूर्ख बसते हैं। और जब जेठमलानी ये बोलते हैं कि उनके साथ धोखा हो गया तो काटजू याद आ जाते हैं। शौरी का कहना ही क्या वो वैसे ही बौराये फिर रहे हैं। #‎बताओ तो जानें”। (लेखक राहुल कुमार सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज से भौतिक विज्ञान में बीएस.सी. करने के बाद भारतीय इतिहास एवं राजनीति विज्ञान का स्वतंत्र अध्ययन कर रहे हैं. साथ ही भारत के ऐतिहासिक महत्व के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने उन्हें शौक एवं जुनून है. अभी दिल्ली में पिछले 10 वर्षों से रह रहे हैं.)






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