अगर बीजेपी जीतती, तो एक्सपर्ट क्या कहते
बिहार चुनाव नतीजों के शुरुआती एक घंटे के रुझान देखने के बाद जो एक्सपर्ट मोदी को भगवान विष्णु का अवतार बता रहे थे, वही चुनाव नतीजे आने तक उनका इस्तीफा और जान, दोनों मांगने लगे। दस में से नौ सर्वे गलत साबित हुए और इनको सच मान लेने वाले एक्सपर्ट बाद में बीजेपी को लानत दे रहे थे कि वह जनता का मूड समझने में नाकाम रही। ऐसे ही एक एक्सपर्ट से मैंने विश्लेषण की इस बेखौफ बेशर्मी की वजह जानी, तो उनका कहना था कि कुछ भी बोल देने के पीछे राजनीतिक एक्सपर्ट्स का यह परम विश्वास होता है कि हमें कोई सुन ही नहीं रहा। मसलन, बीजेपी हार गई, तो सीरिया में छिड़े गृहयुद्ध से लेकर ओजोन परत में बढ़ते छेद के लिए हमने मोदी को कसूरवार बता दिया, अगर जीत जाती, तो उसकी भी पूरी तैयारी कर रखी थी। मसलन, अगर आरजेडी को कम सीटें मिलतीं, तो हम कहते कि देखिए, लोग नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में तो पसंद करते हैं, मगर उन्हें डर था कि अगर लालू जीत गए, तो बिहार में फिर से जंगलराज की वापसी हो जाएगी। लोगों को भरोसा नहीं था कि मुख्यमंत्री बनने के बावजूद नीतीश आरजेडी कार्यकर्ताओं पर लगाम लगा पाएंगे।
अगर जेडी-यू हार जाती, तो कहते कि देखिए, जिस तरह मोदी को वजह बताकर नीतीश बीजेपी से अलग हुए थे, लोग आज भी उसके लिए उन्हें माफ नहीं कर पाए हैं। उसके बाद मांझी के साथ उन्होंने जो सलूक किया, उससे दलित वर्ग खासा नाराज था। बाद में मांझी और पासवान को साथ लाकर अमित शाह ने जो मास्टर स्ट्रोक चला, उससे बड़ा दलित वोट बैंक सीधे बीजेपी के खाते में चला गया।
आखिरी वक्त में बीजेपी ने जो गाय के पोस्टर जारी किए, इसका भी मतदाताओं पर भावनात्मक असर पड़ा। इससे पहले लालू ने बीफ पर जो बयान दिया था, उससे एक बड़ा तबका उनसे नाराज था। वैसे भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 31 सीटें देकर बिहार के मतदाताओं ने यह साफ कर दिया था कि वह भी अब जात-पात से ऊपर उठकर विकास के नाम पर वोट डालने लगा है और इस बार फिर वह साबित हो गया। from livehindustan.com
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