बिहार में केजरीवाल

nitish with kejariwal biharश्रवण गर्ग
अरविन्द केजरीवाल, केंद्र सरकार के साथ टकराव की राजनीति क्यों कर रहे हैं, और उसके क्या परिणाम निकलेंगे इस सब को लेकर फ़िलहाल केवल अटकलें ही लगाई जा सकती हैं. पर आम आदमी पार्टी की तरफ से जो कुछ भी नज़र आता है वह यह है कि लड़ाई अब बड़ी हो गई है और पीछे हटने में उसे ही नुकसान होगा. आम आदमी पार्टी का दावा है कि दिल्ली की जनता की नज़रों में केजरीवाल सरकार को बेवजह परेशान किया जा रहा है. पर जनता की तरफ से आम आदमी पार्टी का ऐसा आकलन पूरी तरह से सही नहीं भी हो सकता है.

जब केजरीवाल दूसरे मुख्यमंत्रियों की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि आज उन्हें परेशान किया जा रहा है, कल उनका नंबर भी आ सकता है तो दिल्ली के लड़ाकू मुख्यमंत्री के इरादे साफ़ होने लगते हैं कि वे मामले को ठंडा करना ही नहीं चाहते. ऐसा नज़र आता है कि नौकरशाही पर नियंत्रण के अधिकारों को लेकर प्रारम्भ हुई लड़ाई को अब बिहार के मैदानों तक पहुंचाने की तैयारी की जा रही है.

दिल्ली में एक बड़ी संख्या में बिहारी नागरिक निवास करते हैं. आम आदमी पार्टी के नेता इस तैयारी में दिखाई देते हैं कि विधानसभा चुनावों के दौरान बिहार पहुँचकर भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ माहौल बनाएं. आम आदमी पार्टी के एक बड़े नेता संजय सिंह बातचीत में संकेत भी देते हैं कि ”हाँ, हम लोग भाजपा के ख़िलाफ़ चुनाव प्रचार के लिए बिहार जा सकते हैं.”

दिल्ली में उप-राज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल के बीच चल रहे घमासान के बीच एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के तौर पर भाजपा आश्चयर्जनक रूप से मुख्यमंत्री के ख़िलाफ़ सड़कों पर कोई भी मोर्चा खोलने से कतरा रही है. शायद भाजपा को भय है कि केजरीवाल अभी भी जनता के हीरो बने हुए हैं और आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ किसी भी तरह के आंदोलन के परिणाम उल्टे भी हो सकते हैं.

दिल्ली में जो कुछ भी चल रहा है, उसका प्रभाव राजधानी की जनता के हितों पर कितना पड़ रहा है, अभी पूरी तरह से साफ़ नहीं है क्योंकि जनता को तो सस्ती बिजली और पानी चाहिए और उन्हें दोनों प्राप्त हो रहा है. क्या इस लड़ाई का अंत होगा? हो सकता है और नहीं भी. बहुत संभव कि हालात को ज़्यादा बिगड़ते देख केंद्र दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश कर दे या फिर सुलह-समझाइश की कोई सूरत बन जाए. पर ‘दोनों’ बड़ों के ज्ञात स्वभावों को देखते हुए उसकी कोई उम्मीद बनती नहीं दिखाई पड़ती.

फ़र्जी डिग्री मामले में दिल्ली सरकार के पूर्व कानून मंत्री जीतेन्द्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी से आग में घी पड़ने का काम ही हुआ है. अब तो एक नया मोर्चा विधायक सोमनाथ भारती के ख़िलाफ़ भी खुल गया है.केंद्र और केजरीवाल के बीच चल रहे टकराव के बीच इस सच्चाई की अनदेखी नहीं की जा सकती कि प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव की अगुवाई में ‘आम आदमी पार्टी’ से अलग हुआ गुट इस समय पूरी तरह से खामोश है.

अरविन्द केजरीवाल भी चाहेंगे कि लड़ाई तब तक चलती रहे जब तक कि कोई भी फ़ैसला उनके पक्ष में नहीं हो जाता.वे जानते हैं कि अंततः जनता की अदालत में वोट मांगने के लिए तो उन्हें ही जाना पड़ेगा, किसी उप-राज्यपाल या किसी नौकरशाह को नहीं. अतः आम आदमी पार्टी के लिए इस ‘जंग’ को जारी रखना ज़रूरी है.समझ से परे है कि दिल्ली के मामले में भाजपा में फ़ैसले कौन ले रहा है और पार्टी को मौजूदा टकराव से कितना लाभ हासिल होगा.कहा जा सकता है कि प्रशांत भूषण और यादव केंद्र के साथ टकराव में अरविन्द केजरीवाल के साथ दिखाई देना चाहते हैं और आगे-पीछे उनकी ‘घर वापसी’ भी हो सकती है. * लेखक हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार हैं. बीबीसी से साभार.






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