अधिकतर लडकियों ने कहा, सर करते थे ‘गंदा’ काम, आंटी मारती थी रोज
मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड: पढिए 42 लड़कियों के बयान
पुलिस की सुपरविजन रिपोर्ट में बच्चियों की पीड़ा उन्हीं की जुबानी:-
मुजफ्फरपुर। (साभार लाइव हिंदुस्तान) मुजफ्फरपुर बालिका गृह में अनाथ और मजबूर बच्चियों पर जो जुल्म हुए उसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। पुलिस की सुपरविजन रिपोर्ट में बच्चियों ने जो खुलासा किया है वह किसी सभ्य समाज पर बदनुमा दाग है। सात साल की बच्ची के खाने में नशे की दवा मिला दी जाती थी। सबेरे जब उठती है तो पूरा शरीर दर्द से टूटता रहता था। खाना मांगने पर गर्म छोलनी से दाग दिया जाता था। वहां की कर्मचारी किरण आंटी के कहने पर दूसरे कमरे में ले जाकर गलत काम कराया जाता था। ऐसा करने से मना करने पर लड़कियों के शरीर पर खौलता पानी फेंक दिया जाता था। रात में कभी किरण आंटी तो कभी चंदा आंटी बगैर कपड़ों के सोने पर मजबूर करती। ‘ब्रजेश सर’ तो सारी हदें पार कर जाते थे। छत पर ले जाते थे तो कभी अपने कमरे में। सभी आंटी कहती, किसी को कुछ भी बताया तो इससे भी बुरा हाल होगा। और तो और सीडब्ल्यूसी सर भी ‘गंदा’ काम करते थे। पुलिस की सुपरविजन रिपोर्ट में बच्चियों की पीड़ा उन्हीं की जुबानी:-
पीड़िता 1 : घटना को सही बताया। वह दो साल से साहू रोड स्थित बालिका गृह में रहती थी। किरण आंटी बतौर हेल्पर के रूप में कार्यरत थी। वह बच्चियों से गलत काम करवाती थी। विरोध करने पर मारा-पीटा करती थी।
पीड़िता 2 : वह कई वर्षों से बालिका गृह में थी। किरण आंटी गलत काम करती थी और करवाती भी थी। बच्चियों के मना करने पर मारपीट करती थी।
पीड़िता 3 : एक साल से बालिका गृह में थी। खाना मांगने पर चंदा आंटी जो गृह माता थी, गर्म पानी पीठ पर डालती थी। गर्म छोलनी से मारती थी। रात में गलत हरकत करती थी।
पीड़िता 4 : वह कई वर्षों से बालिका गृह में थी। किरण लड़कियों के साथ गंदी हरकत करती थी। रात में सोने के बाद दूसरे कमरे में ले जाती थी।
पीड़िता 5 : वह बालिका गृह में करीब चार वर्षों से थी। दुर्व्यवहार व मारपीट को सही ठहराया।
पीड़िता 6 : पांच साल से बालिका गृह में थी। रात में शौचालय के लिए उठती थी तो किरण आंटी संदेहास्पद स्थिति में मिलती थी। वह बाकी बच्चियों को मारतीं और गाली भी देती थी।
पीड़िता 7 : दो वर्ष से रहती थी। वह वहां सोती थी तो डर लगता था। किरण आंटी कभी बहलाकर तो कभी डरा-धमकाकर ‘गंदा’ काम करती थी। मारपीट भी करती थी। विरोध करने पर हाथ-पैर भी काटे जाते थे।
पीड़िता 8 : किरण आंटी बच्चियों के साथ लगातार झगड़ा करती थी। भूख लगने पर खाना नहीं देकर बच्चियों के साथ गाली-गलौज व मारती थी। इसमें किरण आंटी के साथ अन्य भी शामिल थी।
पीड़िता 9 : 2017 से रहती थी। बालिका गृह में आने के 10-15 दिन बाद सीडब्ल्यूसी के सर उसके साथ गलत काम करते है। काउंसलर शिक्षक विकास सर मंगलवार को बालिका गृह आया करते थे और लड़कियों से जबरदस्ती करते थे।
पीड़िता 10 : वह सात वर्ष की अवस्था में बालिका गृह आयी थी। तीन साल से यहां थी। ब्रजेश सर डंडे से बराबर पीटते थे। पीड़िता ने बताया कि इनके साथ वह कभी ‘गंदा’ काम नहीं किया।
पीड़िता 11 : बालिका गृह में दो वर्षों से थी। ब्रजेश सर द्वारा छत पर डंडा से मारपीट किया जाता था। किसी से शिकायत करने के लिए मना किया गया था।
पीड़िता 12 : एक साथी को इशारे से घटना के बारे में बताया। साथ ही इसे सत्य भी करार दिया। ब्रजेश सर उसके साथ छत पर मारपीट करते थे।
पीड़िता 13 : वह एक वर्ष से बालिका गृह में थी। उसके साथ किसी ने ‘गंदा’ काम नहीं किया है। किंतु दीदी लोगों के साथ ‘गंदा’ काम किया जाता था।
पीड़िता 14 : वह एक वर्ष से बालिका गृह में रहती थी। किरण आंटी बच्चियों के साथ मारपीट किया करती थी। वह घटना के संबंध में अन्य कोई उल्लेखनीय बात नहीं बता पाई।
पीड़िता 15 : कभी-कभी डांट फटकार लगाई जाती थी। किंतु उसके साथ कभी ‘गंदा’ काम नहीं हुआ। उसने बताया कि सुना है कि बड़ी दीदी लोगों से ‘गंदा’ काम कराया जाता था।
पीड़िता 16: ‘गंदा’ काम किया जाता था। रोने या भाग जाने पर हाथ-पैर बांध दिया जाता था। शरीर पर जख्म अब भी जिंदा हैं।
पीड़िता 17 : खाने में नींद की गोलियां मिला दी जाती थीं। नींद आ जाने के बाद ‘गंदा’ काम किया जाता था। सोकर उठने के बाद बदन में बहुत दर्द होता था।
पीड़िता 18 : खाने में नींद की गोली मिला दी जाती थी। बाद में ‘गंदा’ काम किया जाता था। सोकर उठने के बाद किरण आंटी, चंदा आंटी को वह बताती थी कि उसके साथ गलत हुआ है।
पीड़िता 19 : ब्रजेश सर ने गलत किया था। इसमें वहां के सभी स्टाफ की भी मिलीभगत थी।
पीड़िता 20 : नींद की दवा दी जाती थी। इसके बाद ब्रजेश सर के कमरे में सोने को कहा जाता था। साथ ही कोई मिलने आया है ऐसा कहा जाता था। सवेरे किरण, नीलम और चंदा आंटी कहती थी इसका ‘काम’ हो गया।
पीड़िता 21 : खाने में नींद की दवा खिलाई जाती थी। उसके बाद किसी द्वारा ‘गंदा’ काम किया जाता था। सवेरे बदन में दर्द होता था। इंदू आंटी कहती थी तुम्हारे साथ गलत हुआ है।
पीड़िता 22 : ‘गंदा’ काम होता था। ब्रजेश सर बाहर के लड़कों को बुलाकर ‘गंदा’ काम करवाते थे। बाद में मारपीट भी की जाती थी।
पीड़िता 23 : मेरे साथ मारपीट होती थी। ब्रजेश सर, नेहा और किरण आंटी बहुत मारते थे।
पीड़िता 24 : किरण आंटी बहुत मारती थी। बहुत खराब औरत थी। पेट का कीड़ा मारने की दवा कहकर नशे की दवा खिला देती थी। एक बार एक मासूम लड़की भाग गई थी, तब पकड़ कर लाई और उसको बहुत मारा पीटा गया।
पीड़िता 25 : एक बार मीनू आंटी बाल खींचकर बहुत मारी। ब्रजेश सर हेड सर थे। वे भी बच्चियों को बहुत मारते थे।
पीड़िता 26 : ब्रजेश सर लड़कियों को बहुत पीटते थे। उसके समय एक मास्टर जी डंडा लेकर आते थे। कोई भाग जाती तो उसे बहुत मारते थे।
पीड़िता 27 : नींद की दवा खिला दी जाती थी। सवेरे बदन में दर्द होता था। सवेरे आंटी लोग कहती कुछ भी नहीं हुआ है। ‘डॉक्टर’ भी कहती थी सब ठीक है। ब्रजेश सर पेट के निचले हिस्से में मारते थे। एक लड़की के पेट में बच्चा था। उसे भी मारते थे। यहां एक बच्ची का मर्डर हुआ है।
पीड़िता 28 : नींद की गोली दी जाती थी। फिर ‘गंदा’ काम किया जाता था। जब दवा नहीं खाती तो बहुत मारते थे। एक नई लड़की को फांसी लगाकर मार दिए। पुरानी लड़की बोली तो कुछ नहीं हुआ।
पीड़िता 29 : मीनू आंटी दवा लाकर खिलाती थी। एक लंबे सर थे। बड़ा पेट था। बहुत मारते थे। एक बार टीवी चालू कर रही थी तो उसके लिए भी मारे थे।
पीड़िता 30 : एक बार एक सर एक दीदी को बहुत मारे थे। उसके पेट में बच्चा था। बाद में छत पर ले गए और वहां भी बहुत मारा।
पीड़िता 31 : नशा की दवा दी जाती थी। सवेरे कपड़े खुले थे। हल्ला की और छत की ओर भाग गई। बाद में कई लड़कियां वहां भागकर आ गईं।
पीड़िता 32 : इंदू आंटी बहुत मारती थी। मार-मार कर घाव कर देती थी। कहती थी किचन में जाकर खाना बनाओ। कपड़े भी नहीं देती थी।
पीड़िता 33 : चंदा आंटी हमको लोहे के रॉड से मारती थी। ‘बुरा काम’ करने की कोशिश हेड सर करते थे। नाजुक अंगों पर भी मारते थे।
पीड़िता 34 : जब हमलोग काम करने से मना करते थे तो किरण आंटी बहुत मारती थी। दो लड़की भाग गई थी पकड़ कर लाई और उन्हें बहुत मारी।
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पीड़िता 35 : हम वहां सिर्फ आठ दिन ही रहे। हमारे साथ कोई गलत काम नहीं हुआ। और लड़कियों के साथ हुआ। रोशन सर और विकास सर गलत काम करते थे।
पीड़िता 36 : चंदा आंटी बहुत मारती थी। उसके साथ कोई ‘गलत काम’ नहीं हुआ मगर और लड़कियों के साथ ‘गलत काम’ हुआ।
पीड़िता 37: रोशन और ब्रजेश सर ‘गलत काम’ करते थे। बहुत मारते भी थे। घाव हो गया था। ब्रजेश सर नीचे ले जाते थे और ‘गलत काम’ करते थे।
पीड़िता 38: ब्रजेश, रोशन और विकास सर लड़कियों के साथ ‘गलत काम’ करते थे। रूम में बंद कर रखते थे। चंदा आंटी बर्तन धोने के लिए मारती थी।
पीड़िता 39 : चंदा आंटी डंडे से मारती थी और बोलती थी कि रोटी बनाओ। सर लोग बहुत ‘गलत काम’ करते थे।
पीड़िता 40 : चंदा आंटी मारती थी। जबरदस्ती झाड़ू-पोछा कराती थी। मेरे साथ ‘गलत काम’ नहीं हुआ मगर मारती बहुत थी।
पीड़िता 41 : सर लोग गंदी-गंदी गालियां देते थे। चंदा आंटी किचन में ही मारना शुरू कर देती थी। सर लोग ‘गलत काम’ करते थे।
पीड़िता 42 : एक सर सूई लगाते थे। वह कुछ नहीं करते थे। दो लोग जो अक्सर वहां आते थे उनमें से एक उनके साथ बहुत ‘गलत’ करता था। दूसरा बगीचे में ले जाकर ‘गलत’ करता था। संचालिका मैडम को बताया तो कहा जाया करो उनके साथ।
( बच्चियों के बयान पर आधारित पुलिस की सुपरविजन रिपोर्ट में बहुत सारे ऐसे ‘शब्द’ और ‘घटनाओं’ का जिक्र है और वे इतने वीभत्स और खौफनाक हैं कि हमारा सामाजिक दायित्व उसे रिपोर्ट में शामिल करने की अनुमति नहीं देता।)
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