आरक्षण और परिसीमन से बिगड़ा पंचायत चुनाव लड़ने वालों का गणित
कई पंचायत प्रतिनिधियों को या तो चुनाव लड़ने से होना पड़ेगा वंचित
कुछ दूसरे क्षेत्र से चुनाव लड़ने की करनी होगी तैयारी
मुकेश सिन्हा
सारण छपरा। पंचायती राज अधिनियम के तहत 2016 में होने वाले पंचायत आम चुनाव के लिए परिसीमन व आरक्षण रोस्टर बदले जाने की विभाग की तैयारी को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों की विभिन्न सामान्य व आरक्षित सीटों पर लगातार दो बार या ज्यादा से जीत दर्ज करानेवाले 80 फीसदी पंचायत प्रतिनिधियों को या तो चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ेगा या दूसरी क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी करनी होगी। जनसंख्या के आधार पर होने वाले परिसीमन व नए आरक्षण रोस्टर से अपनी कुर्सी के अगले चुनाव में खतरे में पड़ते देख ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों की चिन्ता बढ़Þ गई है।
सारण जिले में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत पूर्व में महिला, अतिपिछड़ी, अतिपिछड़ी महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति महिला, आदि 50 फीसदी सींटे वर्ष 206 तथा 2011 में हुए पंचायत आम चुनाव में आरक्षित थी। इस बार भी रोस्टर बदलने के बाद आरक्षण का क्षेत्र बदलेगा व कई सामान्य सीटें आरक्षित, तो कई आरक्षित सीटें सामान्य श्रेणी में आ जाएगी। इसे लेकर खास कर मालदार पदों पर चुनावलडकर जीत हासिल करनेवाले पंचायत प्रतिनिधियों में परेशानी देखी जा रही है। एक मुखिया ने तो यहाँ तक कहा कि यदि सामान्य महिला आरक्षण हुआ, तो वे अपने को चुनाव के लिए उतार सकते है, परन्तु यदि दूसरी श्रेणी का आरक्षण हुआ, तो निश्चित तौर पर चुनाव से अपने पंचायत में खड़ा नहीं होने की स्थिति में आस-पास की पंचायत की तलाश उम्मीदवारी के लिए करनी होगी।
जिले में 2011 में हुई जनगणना के अनुसार अनुसूचित जन जाति के पुरूष के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्या ज्यादा है, जबकि अन्य श्रेणी में महिला की आबादी से पुरूष की आबादी ज्यादा है। अनुसूचित जनजाति की कुल जनसंख्या 36786 में महिलाओं की संख्या 18464 है। अनुसूचित जन जाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या मांझी प्रखण्ड में 10381 है। वहीं दूसरे स्थान पर एकमा प्रखण्ड में उनकी जनसंख्या 9527 है। इस संदर्भ में पंचायती राज पदाधिकारी संतोस कुमार ने बताया कि पंचायती राज व्यवस्था के आधार पर आरक्षण रोस्टर बनाने के लिए प्रपत्र तैयार किया जा रहा है। वही रोस्टर बदलने से निश्चित तौर पर आरक्षण का क्षेत्र बदलेगा।
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