नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में कुछ जरूरी तथ्य
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में कुछ जरूरी तथ्य
Piyush Babele
सुभाष चंद्र बोस आई सी एस की नौकरी से इस्तीफा देकर इंग्लैंड से सीधे मुंबई में महात्मा गांधी के आवास पर पहुंचे थे.
सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि महात्मा गांधी ने भगत सिंह की फांसी माफ कराने के लिए हर संभव कोशिश की.
पूर्ण स्वराज की मांग को लेकर जवाहरलाल नेहरू ने मोतीलाल नेहरू और गांधी से विरोध लेकर सुभाष चंद्र बोस का साथ दिया.
जब गांधी जी और बोस में अध्यक्ष पद को लेकर मतभेद हुए तो गांधी जी की तरफ से सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मोर्चा संभाला और अंत में सुभाष को इस्तीफा देना पड़ा. इस मामले में नेहरू तटस्थ बने रहे.
सरदार पटेल और सुभाष बोस के बीच विट्ठल भाई पटेल की संपत्ति को लेकर करीब 15 साल तक अदालती लड़ाई चली जिसमें अंततः अदालत ने विट्ठल भाई की संपत्ति सुभाष चंद्र बोस से लेकर सरदार पटेल को दे दी. सरदार पटेल ने इसे एक ट्रस्ट में जमा करा दिया.
आजाद हिंद फौज का गठन करने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा और गांधी और नेहरू के नाम पर सेना की दो ब्रिगेड बनाई.
बोस की मृत्यु के बाद उनके बड़े भाई शरद चंद्र बोस ने बोस की पत्नी और बेटी से कोई रिश्ता रखने से मना कर दिया. यह बात सरदार पटेल ने नेहरू को बताई.
नेहरू और पटेल ने सुभाष चंद्र बोस की पत्नी और बेटी के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने का काम किया.
आजाद हिंद फौज के सिपाहियों की रिहाई लिए पंडित नेहरू ने कमेटी का गठन किया और वकीलों की फौज तैयार की.
प्रधानमंत्री के रूप में लाल किले से अपने भाषण में पंडित नेहरू ने कहा आज सुभाष बोस यहां होते तो बहुत अच्छा होता. उन्होंने आजाद हिंद फौज द्वारा राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किए गए जन गण मन को भारत का राष्ट्रगान और जय हिंद को भारत का आधिकारिक नारा बनाया.
@piyush babele
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