आज़ादी के दिन यहां थे गांधी
आज़ादी के दिन यहां थे गांधी
पुुष्यमित्र
इस पोस्ट के साथ जो एक तस्वीर लगी है, वह कलकत्ता शहर के बेलियाघाट मुहल्ले की एक पुरानी कोठी है, जिसका नाम हैदरी मेन्शन या हैदरी मंजिल है, जहां आज़ादी वाले दिन गांधी ठहरे थे। बेलियाघाट उस जमाने में कोलकाता का बहुत गंदा और बदनाम मोहल्ला माना जाता था। यह मोहल्ला हिन्दू और मुसलमान दोनों समुदायों का सीमावर्ती इलाका था। उन दिनों दोनों समुदाय के बीच भीषण दंगा फैला था, इस लिहाज से वहां रहना खतरनाक था।
मगर गांधी ने तय किया था कि आज़ादी के दिन वे किसी दंगाग्रस्त इलाके में किसी मुसलमान के साथ बिना सरकारी पहरे के रहेंगे। इसके लिए उन्होने बेलियाघाट मोहल्ले के इस परित्यक्त मकान को चुना था। जो एक बोहरा मुसलमान व्यापारी का मकान था। उन्होने अपने साथ रहने के लिए बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और मुस्लिम लीग नेता शहीद सुहरावर्दी से आग्रह किया था। वे भी तैयार हो गये थे।
सरदार पटेल उनके वहां रहने से चिंतित थे। उन्होने गांधी को लिखा था, वह जगह तो सचमुच कसाईखाने जैसी है। बदमाशों और गुण्डों का बदनाम अड्डा है। संगति भी आपको कैसी बढिया मिली है। वहां भयंकर गन्दगी भी होगी। क्या आपका स्वास्थ्य यह सब सहन कर पायेगा।
पटेल की चिंताएं स्वाभाविक थीं। महज तीन महीने पहले सुहरावर्दी ने कलकत्ते के दंगे में जो भूमिका अदा की थी, वह सचमुच चिन्तनीय थी। मगर मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद उनमें बड़े बदलाव आये थे, तभी वे गांधी का साथ देने के लिए राजी हो गये। उस मकान में साफ सफाई का मसला तो जरूर गम्भीर था। एक ही शौचालय था, जिसे सैकड़ों लोग इस्तेमाल करते थे।
मगर गांधी धुन के पक्के थे, 13 अगस्त को ही हैदरी मंजिल में शिफ्ट कर गये, उनके साथ शहीद सुहरावर्दी भी आ गये। 15 अगस्त को उनकी नींद 2 बजे रात में ही खुल गयी। वे अमूमन सुबह ही उठते थे। यह महादेव देसाई के पांचवे श्राद्ध का दिन था, इसलिये वे उपवास पर थे। सुबह प्रार्थना की और गीता का सम्पूर्ण पाठ किया।
कुछ देर में आज़ादी के मौके पर रविन्द्र संगीत की प्रभात फेरी गाती लड़कियां पहुँची और वे भी उनके प्रार्थना में शामिल हो गईं। सुबह जब वे सैर के लिए निकले तो देखा कि हजारों लोग उनके दर्शन के लिए हैदरी मंजिल के बाहर खड़े हैं। थोड़ी देर में पश्चिम बंगाल का मंत्रीमंडल भी उनसे आशीर्वाद लेने पहुँचा।
गांधी जी ने उन्हें कहा- आज से आपको कांटों का ताज पहनना होगा। सत्य और अहिंसा की साधना कीजिये, नम्र और सहिष्णु बनिये। सत्ता से सावधान रहिये। सत्ता मनुष्य को भ्रष्ट करती है। इसकी तड़क भड़क और आडम्बर में मत फंसिये। याद रखिये, आप भारत में बसे गरीबों के लिए पदारूढ़ हैं।
उस दिन प्रार्थना भूमि पर 30 हजार लोग जुटे थे। रास्ता 5 मिनट का था, मगर पहुंचने में 20 मिनट से अधिक लग गये।
उन्होने लोगों से कहा- यदि शहर के इस उमड़ते भाईचारे में सच्चाई है तो वह खिलाफत के दिनों से कहीं अच्छी है। किन्तु मुझे यह सुनकर दुख होता है कि लाहौर में अभी तक पागलपन का ही बोलबाला है। अगर कलकत्ते के इस उदाहरण में सच्चाई है तो मेरा भरोसा है कि इसका प्रभाव पंजाब और भारत के दूसरे हिस्से में भी पड़ेगा।
मैं लोगों को चेतावनी देता हूं कि हमें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग बुद्धिमानी और संयम के साथ करना चाहिये। जो यूरोपियन भारत में रह जायें, हमें उनके साथ वैसे ही बर्ताव करना चाहिये, जिसकी हम आशा करते हैं।
गांधी के बाद सुहरावर्दी ने कहा- जो चीज तीन-चार दिन पहले तक असम्भव समझी जाती थी, वह ईश्वर की इच्छा और महात्मा जी की कृपा से चमत्कारिक सत्य बन गयी है। हालांकी मैने सुना है कि मुसलमानों को जय हिन्द बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मुसलमान मजबूरी से कुछ नहीं करेंगे, परन्तु अपनी खुशी से जय हिन्द जरूर बोलेंगे। यह कह कर वे खुद जय हिन्द का नारा लगाने लगे।
उस रोज गांधी जी ने अगाथा हैरिसन को पत्र लिखा कि वे इस दिन को ईश्वर का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उपवास करते हुए और चरखा कातते हुए मना रहे हैं। उन्होने लिखा कि तुमने मेरे बारे में दिये गये चर्चिल के भाषण का जिक्र किया है, मगर सच यही है कि मैं उसे अखब़ार में पढ़ नहीं पाया। आजकल मुझे अखबार पढ़ने का वक़्त कम मिलता है।
भारत की आज़ादी के मसले पर ब्रिटिश पार्लियामेंट में हुई चर्चा में चर्चिल ने उन्हें दुष्ट बताया था। फिर उन्होने राजकुमारी अमृत कौर को पत्र लिखा कि मैं अभी एक मुसलमान के घर में हूं। ये लोग बहुत भले हैं। मुझे हर काम में इनकी ही सहायता मिलती है। यहां हिन्दू और मुसलमान एक दिन में मित्र बन गये हैं।
उस रोज उनसे मिलने बंगाल के तत्कालीन गवर्नर राजाजी भी आये। दोनों बूढ़ों को आपस में मिलते देख लोगों की आत्मा आनंद से भर गयी।
Related News
इसलिए कहा जाता है भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर
स्व. भिखारी ठाकुर की जयंती पर विशेष सबसे कठिन जाति अपमाना / ध्रुव गुप्त लोकभाषाRead More
पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल के लिए ‘कार्तिकी छठ’
त्योहारों के देश भारत में कई ऐसे पर्व हैं, जिन्हें कठिन माना जाता है, यहांRead More
Comments are Closed