विशेष संवाददाता, बिहार कथा. पटना.एनडीए में घटक दलों की सीटों की संख्या पहले से तय की जा चुकी थी। रविवार को इसका औपचारिक ऐलान होने के बाद संस्पेंस खत्म हो गया. भाजपा जिन सिटिंग एमपी का टिकट काट कर जदयू को दिया है, उससे कार्यकर्ताओं ने भारी नाराजगी है. आमतौर पर यह यह होता है कि जिस सांसद का टिकट कटता है, उसके माध्यम से एक भीतरघात की संभावना भी होती है. लेकिन भाजपा ने इसको लेकर पहले से ही पूरी तैयारी कर ली है. टिकट काटने की घोषणा करने से पहले ही प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर के भाजपा पदाधिकारियों ने इन सांसदों को काफी कन्विंस किया है कि वे परेशान होने के बजाय धौय रखें. पार्टी भविष्य में उन्हें बहुत आगे तक ले जाएगी. सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने इन सांसदों को इस का का आश्वासन दिया है कि केंद्र में भाजपा की फिर से सरकार गठन के बाद इन्हें कोई बडा पदा दिया जाएगा. लेकिन यह तो
भविष्य की गर्भ की बात है. राजनीतिक के कुछ जानकार लोगों का यह भी कहना है कि अब सिवान से ओम प्रकाश यादव और गोपालगंज से जनकराम तथा झांझारपुर से वीरेंद्र चौधरी का अब राजनीतिक कॅरियर पर ग्रहण लग गया है. टिकट कटन से पहले ही लोकल लेवल पर कार्यकर्ताओं में इनके प्रति काफी आक्रोश के कारण ही पार्टी आलाकमान ने इन सांसदों को टिकट से बेदखल किया. पार्टी आलाकमान को भी इस बात का अंदेशा था कि इन सीटों पर यदि फिर से इन्हें टिकट दिया जाएगा तो पार्टी के कार्यकर्ता सिटिंग् एमपी को सबक सीखने के लिए भीतरघात कर सकते हैं. बहरहाल राजनीति में कुछ भी संभव है. वहीं राजनीतिक जानकारों का एक खेमा यह भी कहता है कि गोपालगंज के सांसद जनकराम का
राजनीतिक कॅरियर इसलिए भी अच्छा है क्योंकि बिहार और झारखंड में अनुसूचित जाति के रविदास समाज से कोई मजबूत नेता भाजपा के पास नहीं है. जनकराम भाजपा के स्टॉर प्रचारकों की भी सूची में रहे हैं. टिक्ट कटने पर जब बिहार कथा ने जनकराम से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के निर्णय का सम्मान करते हैं तथा भविष्य में उनका जो भी आदेश निर्देश और मार्गदर्शन होगा उसका पालन करेंगे. पार्टी छोडने के सवाल पर जनकराम ने कहा कि ऐसी कोई बात ही नहीं है. वे पार्टी की सेवा में पूरी निष्ठा से लगे रहेंगे.
Comments are Closed