लागा लंगोट में दाग

नवल किशोर कुमार
मुजफ्फरपुर में 29 अनाथ बच्चियों के साथ बलात्कार की घटना सामान्य घटना नहीं है। सात साल से लेकर 18 वर्ष की इनमें से कई बच्चियों के साथ बार दर्जनों बार बलात्कार किया गया। बलात्कार करने वाले भी खास लोग हैं। मिल रही खबरों के अनुसार इनमें बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के चपरासी, किरानी से लेकर अधिकारी और अनेक मंत्री भी शामिल हैं। सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि बलात्कारियों में सरकार के शीर्षस्थ भी शामिल हो सकते हैं। बशर्ते ईमानदारी के साथ जांच हो। जब यह मामला संसद में उठा तब केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस घटना को हेनियस क्राइम की संज्ञा दी और यह भी कहा कि केंद्र इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाने को तैयार है। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजनाथ सिंह की ही पार्टी के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सीबीआई जांच को तैयार नहीं हैं। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बिहार पुलिस सारे सबूत खत्म कर रही है ताकि जब सीबीआई मामले की जांच करने आये तब उसे कोई सबूत ही न मिले।
सबसे दिलचस्प इस मामले में राज्य सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई है। दर्ज कराये गये प्राथमिकी में दस लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। इनमें केवल चार पुरूष हैं और 6 महिलाएं। एक महिला पर तो एक बच्ची के साथ अप्राकृतिक यौनाचार का आरोप भी लगाया गया है।
यह हास्यास्पद ही है कि 29 बच्चियों के साथ दर्जनों बार बलात्कार करने के आरोप में केवल 4 पुरूषों को आरोपी बनाया है। जबकि किंगपिन यानी ब्रजेश ठाकुर पर हाथ डालने से भी बिहार पुलिस बच रही है। जाहिर तौर पर वह यह जानती है कि यदि उसने मुंह खोल दिया तब नीतीश सरकार बिहार की जनता के सामने नंगी हो जाएगी।





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