हनुमान चालीसा का अठाहरवां श्र्लोक कुछ इस प्रकार है . . .
“” युग सहस्र योजन पर भानू ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ “”
Meaning:
The Sun which was at a distance of Sixteen Thousand Miles,
You Swallowed It (the Sun) thinking it to be a Sweet Fruit.
श्र्लोक के एक एक शब्द के अर्थ
इस प्रकार हैं . . . .
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(युग = दूर ) ……………
(सह = सोलह(16))……………
(स्र = हज़ार )……………
(योजन = मील )…………………
(भानू = सूरज ) …………………
(लील + ल्यो = निगल लिया ) ……………………
(ताहि = तुमने )……………
(मधुर = मीठा ) …………………
(फल = फल ) ………………………
(जानू = जान कर ) ……………
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अब इन सारे शब्दों को जोड़ा जाये तो अर्थ साफ़ साफ़ आपके सामने है . . . .
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” सूर्य जो कि सोलह हज़ार मील दूर था ,
तुमने निगल लिया मीठा फल समझ कर “”
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.[ मगर आज विज्ञान ने हमें बताया कि सूरज धरती से 930,00,000 मील दूरी पर है ना कि 16000 मील . . . . .
अरे 16000 मील दूरी तो भारत और कनाडा के बीच है . . . .हाहाहाहाह हाहाह हाहाहा . . . . .]
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मगर आज के अत्याधुनिक
वैज्ञानिक युग मे जब बच्चा बच्चा समझदार होने लगा है तो धर्म(भ्रम) के ठेकेदारों ने अपना धंधा राजनीति बचाने के लिये इस श्र्लोक को किसी तरह तोड़ मरोड़ कर वैज्ञानिक आधार पर फर्जि गणित लगा कर सिद्ध करना चाह रहे हैं ताकि लोग अंधभक्ति काल्प्निक्ता मे डूबे रहें और इनका करोड़ो अरबों का धंधा और धर्म(भ्रम) के नाम पर राजनीति चलती रहे . . . .
( क्योंकि हनुमान ने बचपन मे सूरज जो कि पृथ्वी से हज़ारों गुना बड़े आकार का है निगल लिया था . . .तो ऐसे गप्प पर पर्दा डालने के लिये इन्होंने पहली पंक्ति को बढा चढा कर वैज्ञानिक आधार पर जोड़ तोड़ कर प्रदर्शित कर रहे हैं )
यदि आपको फिर भी शंका हो तो आप इस श्र्लोक का अर्थ किसी ऐसे पाखंडी संत से पूछिये जिसे आधुनिक विज्ञान के बारे मे कुछ भी ना पता हो . . . .क्योंकि वो इस श्र्लोक के अर्थ को ज़बरदस्ती तोड़ मरोड़ नहीं कर पायेगा क्योंकि उसे विज्ञान से कोई लेना देना नहीं और समझ से अंजान होगा . . वो पट पट यही अर्थ बतायेगा जो कि वास्तव मे है . . . . .
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क्या आप जानते हैं :: यदि सूरज को किसी ने निगल लिया या गायब कर दिया तो इसका क्या परिणाम होगा ?
जिस Centripital Gravitational Force के कारण पृथ्वी सूर्य की प्रक्रिमा कर रही है वह समाप्त हो जायेगी . . .और पृथ्वी अपनी धुरी(orbit) से निकल कर दूर अंत्रिक्ष मे खो जायेगा और कहीं किसी ग्र्ह या तारे या धूमकेतू से टकरा कर चकनाचूर हो जायेगा . . . . .यदि आपने physics पढा होता तो ज़रूर समझ लेते . . . .
मगर जो भी हो अब जनता धीरे धीरे जाग्रुक हो रही है और काल्प्निक्ता त्याग रही है . . . .
एकता जोशी के फेसबुक टाइम लाइन से साभार. जहां से यह मैटर लिया गया है उसका लिंक —
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