सोनपुर मेला: मिलन स्थल पर तय होते रिश्ते, मंदिरों में लेते हैं सात वचन
गंगेश गुंजन
वैशाली/गोपालगंज/सिवान. हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला विभिन्न जिलों से आए लोगों का एक ऐसा मिलन स्थल भी है, जहां जिन्दगी के रिश्ते तय होते हैं। यहां के मठ-मंदिर इन रिश्तों पर पक्की मुहर भी लगाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के बाद से अब तक अकेले हरिहरनाथ मंदिर में दस शादियां हो चुकी हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देवोत्थान के बाद शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। जिन घरों में लड़के-लड़की की शादी करनी होती है, उन घरों के अभिभावक देवोत्थान के बाद से ही इस शुभ कार्य को अमलीजामा पहनाने में जुट जाते हैं। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के समय हरिहरक्षेत्र में लाखों लोग जुटते हैं। ये मेला रिश्तेदारों का मिलन स्थल है जहां साल में एक बार ही सही रिश्तेदारों के बीच मेल- मुलाकात होती है। इधर कुछ वर्षों से सोनपुर मेले में शादियां भी तय होने लगी हैं। सारण, वैशाली, समस्तीपुर, पटना, सिवान, गोपालगंज और उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती इलाकों से लोग यहां आकर विवाह योग्य लड़के-लड़कियों के लिए रिश्ते तलाशते हैं। मेले में पहुंचे रिश्तेदारों से इस संबंध में बातचीत होती है। अगर बात बन गई तो शादी पक्की और दोनों पक्ष हरिहरनाथ मंदिर में जाकर भगवान के सामने माथा टेकते हैं।
मंदिरों में शादी-विवाह की बेहतर व्यवस्था
हरिहरक्षेत्र में हरिहरनाथ मंदिर के अलावा गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम्, राधा-कृष्ण मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, काली मंदिर में भी शादियां होती हैं। हरिहरनाथ मंदिर में तो बराती और सराती के लिए बड़ा यात्री निवास भी बनाया गया है। इसमें मंदिर की ओर से वैवाहिक कार्य संपन्न कराने के लिए बेहतर व्यवस्था की गई है। गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम् में भी शादियों को संपन्न कराने के लिए अच्छी व्यवस्था है। इन मंदिरों में लड़का-लड़की की देखा-देखी से लेकर रिश्तों को अंतिम मुकाम तक पहुंचाया जाता है। मंदिरों के अलावा साधु गाछी, हाथी बाजार और अंग्रेजी बाजार में भी पेड़ों के नीचे बैठकर रिश्ते तय किए जाते हैं। हरिहरनाथ मंदिर के सचिव विजय सिंह लल्ला कहते हैं, सोनपुर मेला में काफी रिश्ते तय होते हैं और यहां के मंदिरों में शादियां भी खूब होती हैं। दिनोदिन मंदिरों में होने वाली शादियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वहीं मंदिर के पुजारी बमबम बाबा ने कहा कि हरिहरनाथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा से अबतक करीब दस शादियां हो चुकी हैं। अब तो धनी घरानों के बच्चों की शादियां भी मंदिर में हो रही हैं।
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