पटना यूनिवर्सिटी के एक छात्र की जेल यात्रा : सैदपुर से बेउर तक (पार्ट 1)

सैदपुर से बेउर तक

(Part 1)

(रात 2:30 की भयानक रात )
दिन भर काफी थका थका सा हूँ क्योंकि दिन भर हमने पटना के लेक्जरी होटल में कुछ निजी काम से उलझा रहा बाहर काफी धूप है अंदर वातानुकूलित कमरे में राजनीतिक विचार विमर्श हो रहे है ।तब तक शाम हो जाती है पता नहीं काम में इतनी व्यस्तता की समय का पता ही नही चला ।आपको बताता चलू की हम एक पार्टी बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा था जिसमें सहयोग देने बाले बहुत बड़े बड़े लोग थे ।शाम होते ही हम अपने होस्टल सैदपुर लौट आता हूँ ।एक झोपड़ी नुमा रेस्तराँ में खाना खाता हूँ और फिर नींद इस कदर की विस्तर पर ही सो जाता हूँ , मौसम भी आशिकाना है, दिन में काफी गर्मी थी शाम होते ही मौसम ने करवट बदल ली , मंद मंद हवा चल रही है बारिश की बुंदे टीप टीप की मधुर संगीत की तरह कानों को गुजायेमान कर रही है ।नींद काफी जोर से लगी है , मोबाइल की घंटी भी बीच बीच में हमारे नीद पर आघात करता है सो मैं मोबाइल को आंफ कर दिया ।फिर नीद की दुनिया में सो गया ।हलांकि मैं सैड़को छात्रों के बीच में रहता था लेकिन क्या पता था आज हमारे शरीर पर लात घुसो की बरसात होगी ।नीद में ड़ूबा हूँ हमारे रूम के दरबाजे कोई इस तरह से पीट रहा हो जैसे कोई किसी पर हमला करके भागा हो और हमारे कमरे के दरबाजे तोड़कर घुसना चाहता हो ।हमारी निद एकाएक टूट जाती है ।धड़कन मुँह के पास अटक जाती है।काफी भयभीत हूँ डरा सहमा सा हूँ ।हम उठकर अपने कमरे की लाइट जलाता हूँ ।मेरे मन में बहुत तरह की बात आ रही है धीरे से दरबाजे खोलना हूँ ।फिर देखता हूँ पुरे छात्रावास पर पुलिस का कब्जा है , तब तक एक पुलिस गालिया देते नजर आ रहा है मैं तुरंत ही कमरे की लाईट आफ करता हूँ कुछ बोलने के पहले ही पुलिसकर्मियों की आवाज आती है इधर भी कोई छुपा है ।हम दरवाजे के पीछे छुपाने की कौशिश करता हूँ लेकिन तुरंत भर में बहुत पुलिस इक्कठा हो जाते है गालिया बकते है और लात घुसे से हम पर हमला कर देते है जैसे मै कोई आतंकवादी हो ।हमारी काफी पिटाई कर रहे थे तक की कई बार तो आंखो के सामने बज्रपात जैसी चमक दिखाई पड़ती नजर आ रहा था , हमारे समझ में नहीं आ रहा था की मामला क्या है।क्योंकि पुलिस तो हमें लाठी डड़ो से पीटने में वस्त थे हमारी आवाज भी काफी कमजोर हो गया था ।ऐसे पुलिस कर्मी कोई बिहार का नही था वल्कि उस वक्त चुनावी मौसम था और कुछ छात्रों ने जिसका काम ही है लड़ाई झगड़ा करना वो तोड़ फोड़ करना यही उसका उदेश्श था ।उसके कारण ही हमें कुछ पता नहीं तब तक एक लड़का फिर पुलिस के हत्थे चढता है उसकी धुनाई हमसे कम होती है ।पुलिस की गुस्से इस कदर ये था की जो छात्रों का कमरा बंद था उसके भी दरबार तोड़ देते थे ।कुछ पुलिस हमारे कमी के कालर पकड़कर एक कैदी बैन में ढकेल देते है तब तक एक जानपहचान के पुलिस अधिकारी की नजर हम पर पड़ी लेकिन पुलिस कप्तान वही होने के कारण वो भी कुछ कर नही सके ।कुछ पुलिस तो खुले रूप में बोल रहे थे ये लोग सिर्फ बम गोली पिस्तौल कैसे बनता है इसकी पढ़ाई करता है ।हलाकि सैदपुर हास्टल कुख्यात के नाम से जाना जाता था लेकिन परिणाम भी काफी अच्छा देते थे हरेक साल प्रशासनिक सेवा हो या कोई जेनलर कम्पीटिशन सभी में बेहतरीन प्रदर्शन रहा है ।कुछ गलत या बचकाना हरकत के कारण सभी को परेशानी झेलनी पड़ती थी ।हम काफी डरे हुए थे लेकिन कुछ लोग बहुत ही रोमेटिक अंदाज मे दिख रहे थे क्योंकि वह छात्र को जेल का काफी अनुभव हो ।मेरे शरीर पर इतनी मार कभी नही पड़ी काफी दर्द करता शरीर कुछ भी करने से इनकार कर रहा था शरीर ।ऊपर से जेल जाने का डर लेकिन कुछ लिखा होता है वही होता है पुलिस सभी 45 छात्रों को गिरफ्तार किया जिसमें ज्यादा तरह सोहरत मदं छात्र थे हमलोगों को काफी दूर लेजाकर रखा जाता है कही छात्रों का विरोध भी करना न पड़े ।सुबह होती है फिर दो जो कैदी बाहन आता है हमलोगों को कोर्ट ले जाया जाता है काफी घुमाफिरा कर कभी व्यवहार न्यायालय तो कभी सीटी कोर्ट पटना दिन भर ऐसे ही करता रहा व्यवहार न्यायालय के पास इसलिए भी नहीं ले जा रहा था की बगल में ही बहुत बड़ा छात्रावास है छात्रों का विरोध हो जाये हलाकि कुछ लोग ने तो विरोध किया लेकिन कोई प्रभाव नही दिखा सका ।हम सभी छात्रों को सीटी कोर्ट लाया गया से कई गाड़ी पुलिस से आगे पीछे कर रही है जैसे की देश पर हमला करके भागा हुआ अपराधी हूँ पुरी कोर्ट खाली करा दी जाती । beur jail के लिए चित्र परिणामसैकड़ों पुलिस और रैप के जबान है दैखने बालो की भीड़ है छात्रों का हुजूम है अभिभावक भी पहुँचे हुए है सभी सिनियर छात्र मेहनत कर रहे है ।हमलोगों को छुड़ाने के लिए ।लेकिन जेल तो लिखा है ।अभिभावक काफी उदास है हम चिंतित है की हमने कोन सा बड़ा पाप किया क्योंकि हमने कभी जेल नही देखा था उसमे कई छात्र ऐसे थे जो कई बार जेल जा चुके थे तो कोई कभी नहीं गये थे वो काफी भयभीत थे ।जो दो या तीन बार गये थे वो मंद मंद मुशकुरा रहे थे ।हमें कोर्ट के सामने पेश किया जाता है हमसे कुछ लिखवाया जाता है ।पुलिस हमारे कमर के पैट ऐसे पकड़ने है जैसे हम कब फरार हो जाये नहीं पता।सभी छात्रों के द्वारा फार्म भरा कर हमलोग फिर निकल पड़ते है बेउर जैल पीछे से छात्रों की सैकड़ों मोटरसाइकल है भारत माता की जय की पुरा सड़क साफ है ब्रज वाहनों का काफिला है ।अब सोचा की जेल जाना ही होगा तो इतनी उदासी रहने से क्या फायदा कैदी वाहनों मैं ही एक से एक मुशायरा शुरूआत कर दिया जो गम से संबधित था ।सभी छात्रों कि एक से एक गाने की शुरूआत हो गयी ।अब तो जोश ऐसे आया की मत पुछो तवायफ के घुघरू भी नाराज हो जावे ।यही सब गाते गाते कैदी बाहन का प्रवेश बेउर जेलके दरबाजे पर जाता है ।सभी पुलिस एक पिजड़े की भाँति वना लेते है फिर हमलोगों को धीरे धीरे गाड़ी से बाहर करते हे सभी लोग उत्तरता हूँ ।तब एक पुलिस की नजर हम पर पड़ती है जो हरेक व्यक्ति की जाँच कर रहा है उधर से आवाज आती है अंशुमान तुम कहां से आ गये हम ने उन्हें हालवंया किया फिर लाल दरवाजा जो की इतनी बड़ी पहली बार देखा ।एक ऐसे व्यक्ति सामने है जो पुरी जैल की चाभी का ठिकेदार लग रहा हो या फिर बैउर का यमराज कह सकते है ।धीरे धीरे सभी का नाम, पता, जाति का लिखवाया जाता है उसके बाद लाइन से लगाकर हमलोग जेल के अंदर प्रवेश करते है ।सामने भगवान वुद्द की स्मारक है जैसे भगवान वुद्ध को संदेश देने के बजाय जेल में कैदी बना रखा हो ।हम सभी को सबसे पहले आमद वार्ड में रखा जाता है जो सबसे गंदा है वहाँ बहुत पहले से ही कैदी भरे पड़े है कुछ तो हत्यारे और कुछ छेड़खानी, कुछ चैन छिनने वालो की सजा काफी गंदा वार्ड है नरक की तरह हालात है सड़ी हुई कंबल है जिससे घिनौनी बदबू आ रही है नींद भी काफी आ रही है लाठी डडा से लगी चोट भी दर्द दे रहा है ।किसी तरह नींद आ जाती है ।सुबह हमलोगों को चिकित्सा के बुलाया जाता है तब तक कुछ पुराने कैदी जो जानपहचान के मिल जाते है ।हमलोगों के स्वागत के लिए तैयार है ।सुबह में अखबार में खबर छपती है विशेषकर मेरे बारे में लोगों को जानकारी मिल जाती है की अंशुमान को बुरी तरह पीटा गया है कुछ लोग हमारे विशेष ख्याल करते है ।चिकित्सा के बाद ही हमलोग एक परिचित के वार्ड में जाते है हमारे शुभचितक शरीर पर लाठी के दाग से बहुत चिंतित होते है ।तब तक हमारे कुछ सिनियर जो कुछ चैन छीनने या छेड़खानी करने बाले बंदी को बुलाते है फिर हो जाती है हमारी सेकाई दो तीन व्यक्ति हमारे शरीर को अच्छी तरह से सेकते है ।जैसे लग रहा हो की हम जेल नही हम मेहमानों की तरह रह रहे है।फिर भी हमारी माँ के बारे में सोचता हूँ क्या सोचती होगी वो ।कैसे रहता होगा काफी चिंतित होगी , रोती भी होगी तब तक हमसे बहुत लोग मिलने आते है जो पूर्व में पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे है लेकिन कुछ वहाने से जेल में बद है ।हम वहा भी अब मजे से लोगों से मिल रहा हूँ ।मुशायरा हो रहा है पुराने कैदियों के बीच एक अलग अंदाज पैशकर रहा हूँ ।लोगों से अच्छा व्यवहार भी करता हूँ ।हमारे हालचाल लेने के लिए बहुत सारे लोग है ।थोड़ी उदासी में भी मोहब्बत की बात कर लेता हूँ ।पर जो भी है जितना ज्यादा भयभीत था उतने ही खुश हूँ लेकिन माँ के लिए बैचैन था , कभी कोई मिलने आता तो जालिदार खिड़की से मुशकूराते हुये जबाब देता मैं मस्त हूँ ।काफी लोगों से मिला कुछ बुजुर्ग से भी मिला काफी कुछ लोग को देखकर लगा की दुनिया में अजीब अजीब लोग है।कुछ हमारे प्रशंसक लोगो को ये बताते फिर रहे थे की अंशुमान शराब पी लिया था लेकिन मै काफी थक चुका था इसलिए नीद गहरी थी ।एक सबसे बुजुर्ग से मिला तो बोला बावा आप किस लिए जेल में बद है तो कपकपाती हुई शरीर से कड़क शब्दों में जबाब आता है जबानी में बहुत ऐश किया बाबू,मेरे समझ से मनुष्य के चरित्र चित्रण पर प्रकाश डालना हो तो एक बार बैसे व्यक्ति से जरूर मिले जो अपनी जिंदगी जेल में काफी गुजारी है ।हंलाकि हमारीजेल की यात्रा आठ दिनों की रही है लेकिन काफी अच्छे और बुरे व्यक्ति के अनुभव पर ध्यान जाता है ।लेकिन अधिकतम लोगों का मानना है की हम निर्दोष है ।निर्दोष के कारण ही सजा भुगत रहे है ।अधिकतर लोग दहेज एक्ट या फिर हत्या या चैन छीनने बाले शामिल है । हमारे कैदी मित्र मे शामिल शशिरजन ,श्रीराम, सूर्य कान्त, आदि आगे और भी है फिर कभी तब तक के लिए धन्यवाद ।
क्रमशः

 






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