दारोगा की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने वाले एक जीते, एक हारे
मनीष कुमार.पटना
बिहार विधानसभा चुनाव में दारोगा की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने वाले दो स्टार है। इस बार एक हार गये तो दूसरे स्टार जीत गये। दारोगा की नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने वाले रवि ज्योति अब विधायक बन गये हैं। जदयू ने सबसे अंतिम में राजगीर सीट पर काफी सोच समझकर उम्मीदवार उतारा था। रवि ने राजगीर से जीत कर जदयू के उम्मीदों पर खरा उतरे का प्रयास किया। वही दारोगा की नौकरी छोड़कर दोबारा चुनाव लड़ने वाले सोम प्रकाश सिंह इस बार ओबरा से चुनाव हार गये । सोम प्रकाश 2010 में ओबरा से पहली बार निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़कर विधायक बने थे। दोनों के बारे में एक चीज मिलती है। दोनों अपने-अपने क्षेत्र में दारोगा रहते काफी लोकप्रिय हुए थे।
कौन हैं रवि ज्योति कुमार
रवि ज्योति दरभंगा लहेरियासराय के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी नौकरी की शुरुआत 5 सितंबर 1994 में की थी। वे राजगीर में इन-चार्ज की पोस्ट पर काम कर रहे थे। रवि की इस इलाके की कई पुलिस स्टेशनों पर पोस्टिंग रही है। रवि ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज से पढ़ाई की है।
गांधीगिरी की वजह से चर्चा में आए थे रवि
लोग रवि को उनकी गांधीगिरी की वजह से जानते हैं। उन्होंने कई काम गांधीगिरी स्टाइल से हल किए हैं। मलमास के समय लगने वाले प्रसिद्ध राजगीर मेले के समय दो-तीन बार यहां के वे इन-चार्ज रहे हैं, और इस दौरान उनकी ओर से लिए गए फैसलों के कारण वे काफी लोकप्रिय हुए। करीब एक दशक पहले राजगीर मेले के दौरान रवि ने इस इलाके में चलने वाले अश्लील सिनेमा पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।
कौन हैं सोमप्रकाश
सोमप्रकाश के डेहरी के मकरांव गांव के रहने वाले हैं। सोम प्रकाश विधायक बनने से पहले दारोगा थे । वे 5 सितंबर 1994 को दारोगा बने थे। दारोगा रहते हुए मोतिहारी, पटना एसटीएफ, औरंगाबाद के औबरा सलैया थाना, बख्तियारपुर में फिर कादीरंगज में काम किया। सोम प्रकाश ने 16 अगस्त को 2010 को दारोगा की नौकरी छोड़ दी।
33 हजार बच्चों को किया साक्षर, राज्यपाल ने दिया था इनाम
औरंगाबाद जिले के ओबरा में रहते हुए सोम प्रकाश ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया, जिससे लोगों में लोकप्रियता बढ़ती गई। औरंगाबाद जिले के 33 हजार बच्चों को शैक्षणिक जागृति मंच की और से बच्चों को साक्षर किया। फरवरी 2009 में बच्चों के प्रमाण पत्र देने के लिए तत्कालीन बिहार के राज्यपाल रघुनंदन लाल भाटिया गए थे। जिन्होंने खुश होकर सोम प्रकाश के 50 हजार का इनाम में दिया था।
सोम प्रकाश के ट्रांसफर होने पर लोगों ने रोकी थी ट्रेन
सोम प्रकाश के बारे बताया जाता है कि दारोगा की नौकरी करने का इनका अंदाज निराला था। लोगों की समस्या को बड़ी सलीके से सुलझाते थे, जिससे के कारण लोगों को कोर्ट कचहरी से राहत मिलती थी। पटना के बख्तियारपुर में सोम प्रकाश दारोगा थे। सरकार ने इनका ट्रांसफर कर दिया। ट्रांसफर के विरोध में लोगों ने 11 नवंबर 2009 को बख्तियारपुर में ट्रेन को रोक दिया। जमकर हंगामा हुआ। ट्रेन के इंजन को बोगी से अलग कर दिया गया। सरकार के खिलाफ लोगों ने जमकर नारेबाजी की थी। ओबरा में रहते हुए एक बड़े शराब कारोबारी को गिरफ्तार करने पर दो घंटे के अंदर सोम प्रकाश को पुलिस लाइन भेज दिया गया था। from bhaskar.com
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