अब खामोश रहेंगे शत्रुघ्न सिन्हा और किनारे बैठकर मुजरा देखेंगे
संघ के नेताओं से किया मिलने से इंकार, मुख्यालय में भी नहीं घुसने दिया
बिपेंद्र कुमार सिंह,
बिहार कथा. नागपुर। पार्टी विरोधी बयानबाजी को लेकर भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पर कार्रवाई की कयासबाजी हो रही है, तो उन्होंने पार्टी पर ही उल्टा निशाना साधा है। नागपुर में एक कार्यक्रम में सिन्हा ने कहा, मुझे जितना बोलना है, बोल दिया। अब बड़े बुजुर्ग बोल रहे हैं, कर रहे हैं। अब मैं शांत मन से किनारे बैठूंगा। आराम से बैठकर जग का मुजरा देखूंगा…क्या-क्या हो रहा है, क्या-क्या होना चाहिए।
शत्रुघ्न ने कहा कि वह बीजेपी में थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने पूछा, क्या गुनाह किया है मैंने? कौन सी ऐंटी पार्टी ऐक्टिविटी की है? क्या मेरे अंदर गंभीरता नहीं है? उन्होंने कहा कि अगर दाल की कीमतों पर नियंत्रण करने की बात कही तो उसमें क्या गलत था। उन्होंने कहा कि उन्होंने वह बात देश, पार्टी और पब्लिक के फायदे के लिए कही थी।
शत्रुघ्न ने पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा लगाए जा रहे आरोपों का करारा जवाब देते हुए कहा, मैं सामाजिक जिम्मेदारी के तहत राजनीति में आया और शायद पहली और आखिरी बार बीजेपी में आया। इसके बाद यह इल्जाम लगाया जा रहा है। अगर सच को सच कहना बगावत है, तो समझो हम भी बागी हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा ने बिहार चुनाव में हुई हार के लिए केंद्रीय नेतृत्व पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर आप लोकल लोगों को अहमियत नहीं दे रहे और जगह-जगह से लोगों को ला रहे हैं, आप तो डेस्परेशन दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, दिल्ली चुनाव में क्या हुआ? लोग आते गए, हमारे मंत्री भी आए और क्या परिणाम हुआ?ह्य उन्होंने कहा कि कई लोग देश को तोड़ने के लिए क्या-क्या नहीं करते, कोई कार्रवाई नहीं की गई।
ज्ञात हो कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान और चुनाव परिणाम घोषित किए जाने के बाद अपने बयानों के कारण सुर्खियों में छाए रहने वाले भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से अब उनकी ही पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दूरी बनानी शुरू कर दी है। एक निजी समारोह में शामिल होने के लिए शुक्रवार देर रात नागपुर आए बिहारी बाबू को संघ के नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित पार्टी के कई नेता भी नजरअंदाज कर रहे हैं। श्री गडकरी भी रविवार शाम होने वाले उसी समारोह में शिरकत करने वाले थे, जिसके लिए श्री सिन्हा यहां पहुंचने की जानकारी मिलते ही गडकरी किसी अन्य कार्यक्रम में शरीक होने के लिए रवाना हो गए। राजनीति विश्लेषकों के अनुसार श्री गडकरी ने श्री सिन्हा को नजरअंदाज करते हुए नागपुर से गए हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि श्री गडकरी का पहले से ही व्यस्त कार्यक्रम था और वह तयशुदा कार्य्रकम में शामिल होने ही नागपुर से बाहर गए हैं। सूत्रों के अनुसार श्री सिन्हा ने श्री गडकरी से मिलने का समय भी नहीं मांगा था, इसी कारण दोनों नेताओं के बीच मुलाकात नहीं हुई। एक संघ प्रचारक ने बताया कि सरसंघचालक मोहन भागवत और संघ के अन्य वरिष्ठ नेता नागपुर में नहीं हैं इसी कारण श्री सिन्हा से उनकी भी मुलाकात नहीं हो पाई। हालांकि श्री सिन्हा को रेशमबाग स्थित संघ के मुख्यालय में बनी स्मृति मंदिर के दर्शन के लिए भी मुख्यालय में जाने की अनुमति नहीं मिली। सूत्रों के अनुसार श्री सिन्हा संघ के नेताओं से मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट भी करना चाहते थे। श्री सिन्हा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि वह एक समारोह में शामिल होने नागपुर आए हैं और वह दिल्ली में संघ के नेताओं से मुलाकात कर अपना पक्ष रखेंगे। उन्होंने कहा कि श्री भागवत उनके लिए पिता समान हैं और आरक्षण पर उनके बयान को बौद्धिकता से समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री भागवत के बयान को लोगों को अच्छी तरह समझाने में भाजपा के नेता नाकाम रहे। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी नेताओं के खिलाफ बोलने वाले श्री सिन्हा ने नागपुर दौरे में अपना सुर पूरी तरह बदल लिया है और वह अब खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में जितनी भी सीटें भाजपा को मिली हैं, वे श्री मोदी के आक्रामक तेवर के कारण ही मिली हैं। उन्होंने चुनावी नतीजे को जातिगत दृष्टि से देखने की सलाह देते हुए कहा कि आधा चुनाव तो उसी दिन हो गया था, जब नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस एक साथ आए, जिसके कारण यादव, मुस्लिम, कुर्मी और कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं को मिलाकर कुल 45 प्रतिशत उनके खेमे में चला गया। नीतीश कुमार से अपनी मुलाकात को औपचारिक और शिष्टाचार भेंट कहते हुए उन्होंने दलील की कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हुए थे। उन्होंने इसे राजनीतिक परिपक्वता की संज्ञा देते हुए कहा कि पूरे मामले को इस तरह नहीं पेश किया जाना चाहिए कोई नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो रहा है। उन्होंने कहा,भाजपा मेरे लिए पहली और आखिरी पार्टी है। उन्होंने एक बार फिर बिहार चुनाव की रणनीति में खुद को नजरअंदाज किए जाने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को भी पूरे मामले के दौरान अंधेरे में रखा गया। उन्होंने कहा कि एक स्टार प्रचारक होने और बिहार का होने के बावजूद पार्टी ने उन्हें पूरी चुनावी प्रक्रिया से अलग-थलग रखा और सभी काम बाहरी नेताओं को सौंपे गए।
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