Saturday, October 17th, 2015

 

सत्ता से दूर होकर संशय में बिहार के राजपूत

भव्य इतिहास की टीस और स्वर्णिम भविष्य की कल्पना करते हुए राजपूत वर्तमान में किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए हैं। राजतंत्र में राज करने वाली राजपूत जाति लोकतंत्र में नकारात्मकता से जड़-सी हो गई है। भाजपा के स्वाभाविक पैरोकार रहे राजपूतों की मांग है कि उपयुक्त समय आने पर उन्हें समुचित सम्मान मिले। अनंत अमित पहले कहा गया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जाति के दंश से बिहार मुक्त होता हुआ सा लगा था, लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर जाति का तिलिस्म टूटता हुआ सा नहींRead More


बिहार चुनाव में सीबीआई भी मैदान में है?

मृगांक शेखर . दिल्ली। एक जिंदगी देता है और दूसरा इंसाफ. डॉक्टर और सीबीआई – दोनों ही पर इस मुल्क में उतना ही भरोसा किया जाता है जितना भगवान पर. डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही के आरोप भी लगते रहे हैं, लेकिन इस बात से उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता. सीबीआई के दुरुपएोग की भी बातें अक्सर उठती रहती हैं, पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. घटना होते ही सबसे पहले सीबीआई जांच की ही मांग होती है. सीबीआई जांच के लिए लोग धरना प्रदर्शन से लेकर आमरण अनशन तकRead More


बिहार का सियासी डीएनए डी-कोड

डॉ. कपिल शर्मा लाइट, कैमरा, एक्शन…और एक्शन रीप्ले. बिहार के चुनावों में अगर सियासी घटनाक्रम और बयानों के सिलसिले को देखें, तो फॉमूर्ला पिछले चुनावों से अलग नहीं दिखता. कभी मौत के सौदागर वाले जुमले सुनने को मिले थे, तो इस बार नरभक्षी से लेकर ब्रह्म पिशाच जैसी उपाधियां पेशे नजर हुईं. बिहार के चुनावी मैदान में जुमलों, अलंकारों और उपमाओं का इस्तेमाल करने वाले एक से बढ़Þकर एक माहिर खिलाड़ी हाजिर हैं. लेकिन बिहार का अपना एक जातिगत सियासी डीएनए है. जिसे डी-कोड करना दिखता तो आसान है, लेकिनRead More


साइकिल योजना ने महिलाओं को सशक्त बनाया?

प्रोफ़ेसर संजय कुमार (बीबीसी हिंदी डॉटकाम)  2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार में महिला मतदाताओं ने बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया. वास्तविकता ये थी कि पुरुषों की तुलना में ज़्यादा महिलाओं ने वोट डाले. पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 फ़ीसदी आरक्षण की घोषणा करने वाला बिहार पहला राज्य था. इसके बाद दूसरे राज्यों में यह लागू हुआ. बिहार चंद गिने चुने राज्यों में शामिल था जहां लड़कियों के आठवीं क्लास पास होने पर 2,000 रुपये देने की योजना लागू है. इसे साइकिल योजना भी कहते हैं. जनगणना के आंकड़ोंRead More


ये लीजिए, सीएम कैंडिडेट तो बढ़ते ही जा रहे

मृगांक शेखर.नई दिल्ली। एनडीए की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तो बहुत थे, पर उम्मीदवार कोई नहीं. अब तो ऐसा लगता है जैसे मशरूम की तरह कोने कोने से उम्मीदवार उगते चले आ रहे हैं. कुछ तो नेताओं के जोरदार खंडनों के चलते मुरझा भी गए. पहले तो ए इशारों इशारों में खुद को असली उम्मीदवार बता देते हैं, फिर अगले ही क्षण खंडन भी कर देते हैं, “मैं तो रेस में बिलकुल नहीं हूं.” जीतन राम मांझी तो उछल उछल कर इशारे कर रहे हैं – औरRead More


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