दिलचस्प होगी राघोपुर की जंग, हारी थी राबड़ी देवी
नवल कुमार
इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में क्या होगा? कौन दल जीतकर सूबे सरकार में बनाएगा और कौन विपक्ष की भूमिका अदा करेगा, इसका खुलासा तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही होगा। लेकिन जिस विधानसभा क्षेत्र पर चुनाव के पहले ही पूरे देश और प्रदेश की नजरें लगी होंगी, उनमें से एक राघोपुर विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। वजह यह है कि यह सीट राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के लिए परंपरागत सीट रही है। हालांकि इस मामले ट्विस्?ट यह है कि पिछली बार जदयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को चुनाव में हरा दिया था। तब जदयू और भाजपा के बीच गठबंधन था। इस बार जदयू और राजद के बीच गठबंधन है। लिहाजा यह महत्वपूर्ण हो गया है कि क्या जदयू राघोपुर का सीट अपने वर्तमान विधायक का पत्ता काटकर लालू प्रसाद के हवाले कर देगी। इस बार की राजनीति के लिहाज से यह बड़ा सवाल है।
पिछली बार राघोपुर की जनता ने वह कर दिखाया, जो उसने पूर्व में कभी नहीं किया था। यादव बहुल राघोपुर में जीतने का एक ही समीकरण है। राजद के लिए माई समीकरण, तो अन्य के लिए राजद के माई समीकरण में सेंध। पिछली बार जदयू के सतीश कुमार ने नीतीश लहर पर सवार होकर जीत हासिल की थी। इसके मूल में यादव मतदाताओं में बिखराव था।
आंकड़ों के हिसाब से बात करें तो सतीश कुमार को कुल 64 हजार 222 मत प्राप्त हुए थे, जबकि राबड़ी देवी को 51 हजार 216 मत। वहीं निर्दलीय रिजवानुल आजम को 3877 मत प्राप्त हुए थे। इससे पहले यानी अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव के दौरान जदयू के उम्मीदवार सतीश कुमार को 30 हजार 601 मत और राबड़ी देवी को 35 हजार 891 मत हासिल हुए थे। तब राबड़ी देवी करीब पांच हजार मतों के अंतर से विजई रही थीं।
दरअसल, राघोपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक गणित पूरी तरह से जातिगत हिस्सेदारियों पर आधारित है। इस क्षेत्र में यादव के बाद अन्य सभी जातियां मसलन राजपूर, कोईरी और कुर्मी के अलावा अति पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों के मतदाताओं की संख्या एक जैसी है। यही वजह रही कि पिछली बार चुनाव लालू यादव बनाम अन्य हुआ था। इसके अलावा स्थानीय यादव होने के कारण भी सतीश कुमार को लाभ मिला था। इस बार चूंकि नीतीश कुमार लालू प्रसाद के साथ हैं, इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि राघोपुर का राजनीतिक गणित उनके फामूर्ले के हिसाब से सटीक हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के लिए यहां कुछ भी नहीं है।
सबसे दिलचस्प यह है कि यह विधानसभा क्षेत्र राजद के हिस्से में जाने की उम्मीद है और यहां से राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के किसी परिजन को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है। लिहाजा भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां हर हाल में राघोपुर को जीतने की पूरी कोशिश करेंगी। इसके लिए पप्पू यादव सहित अनेक सूरमा रणनीति बनाने में अभी से जुट गए हैं। from : http://khabar.ibnlive.com/blogs/nawal/biharelection-2015-387697.html
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