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महाराजगंज: राजपूत-भूमिहार से आगे नहीं बढ़ा प्रतिनिधित्व

वीरेंद्र यादव के साथ लोकसभा का रणक्षेत्र – 21 (बिहार की राजनीति की सबसे जरूरी पुस्तक- राजनीति की जाति) 1957 में पहली बार अस्तित्व में आयी महाराजगंज लोकसभा सीट से अब तक भूमिहार-राजपूत ही निर्वाचित होते रहे हैं। इससे इतर किसी अन्य जाति को मौका नहीं मिला। इसकी वजह रही है कि महाराजगंज का सामाजिक बनावट और बसावट राजपूत-भूमिहार के पक्ष में रही है। यादव वोटों की संख्या भी काफी है, लेकिन सीवान और सारण के राजनीतिक समीरण में महाराजगंज सभी पार्टियों के लिए राजपूत व भूमिहार के अनुकूल बैठताRead More


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