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काल निर्धारक : भारतीय संस्कृति के पौरुष – पराक्रम का ललाट बिम्ब ‘विक्रम’ .

काल निर्धारक  :  भारतीय संस्कृति के पौरुष – पराक्रम का ललाट बिम्ब ‘विक्रम’ . मर्यादा पुरषोतमश्री राम और श्री कृष्ण के पश्चात जिस शासक को भारत ने अपने ह्रदय सिंहासन पर आरूढ़ किया है वह विक्रमादित्य है। जिसका गरुड़ध्वज वर्तमान अफगानिस्तान में स्थित हिन्दू कुश के पार बलख से लेकर ईरान इराक तक लहराता था। कुल 4 में से 3 समुद्र की लहरें भी जिसकी पराक्रम की गीत गाती थी। देवश्री , विक्रम , नरेन्द्रचंद्र , सिँहविक्रम ,नरेन्द्रसिंह ,सिंहचन्द्र ,परमभागवत ,अजितविक्रम ,विक्रमांक, परमभट्टारक , महाराज , देवराज तथा अप्रतिरथ आदिRead More


हे कर्णावती! मत भेजना हुमायूँ को राखी

अवधेश कुमार ‘अवध’ सावन के महीने में शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन राखी का त्यौहार न सिर्फ भारत बल्कि कई अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षा बंधन का यह पर्व सिर्फ भाई – बहन तक सीमित न होकर गुरु – शिष्य, पिता – पुत्री, वरिष्ठ – कनिष्ठ, मामी – भांजा, मनुष्य – वृक्ष आदि सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों के बीच भी होता है। आज के समय में कई प्रकार की राखियों से बाजार भरा पड़ा है किन्तु इन सबके बीच एक ही सत्य कायम है किRead More


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