हत्या के 100 दिन बाद भी नहीं मिली लाश की सिर

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व्यवसाई हरिशंकर सिंह हत्याकांड
टुकड़ों में शव को बदमाशों ने किया था दफन
व्यवसाई का अपहरण कर कर दी थी हत्या
सरकार गठन के बाद हत्या की घटना ने पुलिस की बढ़ाई थी बेचैनी

बिहार कथा. पचरुखी/सीवान।
पचरुखी के व्यवसाई हरिशंकर सिंह के अपहरण के बाद हत्या की घटना के तीन माह बाद भी पूरी तसवीर अब तक साफ नहीं हो सकी है. पैतृक जमीन को लेकर हुए विवाद में अपहरण कर हत्या की बात शुरू में कही गई. इसके बाद घटना में शामिल मुख्य आरोपित की गिरफ्तारी के बाद पूरा घटना क्रम नया मोड़ ले लिया. अब फिरौती के लिए अपहरण तथा घटना का राज खुलने के डर से हत्या को अंजाम देने की बात पुलिस की कहानी बता रही है. खास बात है कि घटना के तीन माह बाद भी अब तक मृतक का सिर न बरामद कर पाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है. इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ रहे हैं.
महागंठबंधन सरकार के गठन के एक सप्ताह के अंदर हरिशंकर सिंह की हत्या ने विपक्षी दल को बोलने का अवसर प्रदान कर दिया, जिसको लेकर सरकार पर जहां दबाव बढ़Þा, वहीं पुलिस की भी नींद हराम हो गई. एसपी सौरभ कुमार साह पर आलाकमान का बढ़Þे दबाव ने पुलिस टीम को सक्रिय कर दिया. तमाम प्रयास के बाद भी हरिशंकर को जिंदा बरामद करने में पुलिस नाकाम रही. हालांकि अपहरण के 10 दिनों बाद शव की बरामदगी ने पुलिस को सिर पीटने के लिए जहां मजबूर किया, वहीं आधा दर्जन संदिग्धों की गिरफ्तारी में कामयाबी मिलने से पुलिस को स्वयं अपनी पीठ थपथपाने का मौका भी दे दिया. इस मामले में मृतक पचरुखी निवासी हरिशंकर सिहं के चचेरे भाई पप्पू सिंह व उसकी पत्नी, जामो बाजार थाने के भामोपाली निवासी झूलन सिंह, उसकी पत्नी, बेटी व दामाद, डुमरा निवासी राजेश्वर सिंह उर्फ साधु, पचरुखी थाने के चांदपुर निवासी महंत राय, दरौली थाने के बेलांव निवासी अजय राय, महाराजगंज थाने के गोहपुर निवासी रंजन सिंह को आरोपित किया गया है.
आरोपियों ने पुलिस को खूब छकाया
घटना में पुलिस के सभी आरोपितों को गिरफ्तार करने की तमाम कोशिशों के बाद भी तीन आरोपित उसके हाथ नहीं आए. तीनों ने पुलिस को चकमा देकर न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण करने वालों में अजय राय, झूलन सिंह व महंत राय शामिल थे, जबकि महाराजगंज थाने का गोहपुर निवासी रंजन सिंह अभी पुलिस पकड़ से बाहर है. रंजन सिंह पर अपहरण कर हत्या करने का आरोप है.
चार को रिमांड पर लेकर की गई पूछताछ : घटना के संबध में पुलिस का कहना है कि हरिशंकर सिंह का फिरौती के लिए अपहरण बदमाशों ने किया, लेकिन घटना के बाद पूरा मामला अचानक हाइ प्रोफाइल हो जाने व सरकार की इसमें किरकिरी होने से अपहरणकर्ता भी दबाव में आ गए.
काला डुमरा में दफनाया था
बदमाशों ने हरिशंकर को अपहृत कर जामो बाजार थाने के डुमरा स्थित झूलन सिंह के मुरगी फार्म पर हत्या कर दी. इसके बाद शव को टुकड़ों में कर थाना क्षेत्र के काला डुमरा गांव के खेत में दफना दिया. ए बातें अब तक पुलिस रिमांड में लिए गए चार आरोपितों पप्पू सिंह, अजय राय, झूलन सिंह व महंत राय ने कबूल की हैं. हालांकि अब तक मृतक का शव बरामद नहीं हो सका है, जिससे पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा है.
तथ्य जुटाने में जुटी पुलिस
अपहरण कर हत्या की घटना को अंजाम देने के मामले में षड्यंत्र का एक सफेदपोश पर आरोप लगा है, जिसको लेकर शुरू से कहा जा रहा है कि जेल में ही कुछ लोगों के दबाव में सफेदपोश का नाम घसीटने को लेकर षडयंत्र रचा गया.उधर, अब तक पुलिस रिमांड में लिए गए चार अभियुक्तों ने सफेदपोश का नाम लिया है. लेकिन खास बात है कि अभियुक्तों के नाम मात्र ले लेने से पुलिस की कहानी पूरी नहीं हो जाती है.आमतौर पर ऐसे मामलों में कहा जाता है कि अभियुक्त कोर्ट में अपने बयान से मुकर जाते हैं. कोर्ट में अभियुक्त पूर्व में दिए गए बयान को पुलिस के दबाव में कही गई बात कहते हैं. ऐसे में पुलिस मामले को साबित करने के लिए साक्ष्य जुटाने में लगी है.जानकारों का कहना है कि इससे संबंधित कोई साक्ष्य पुलिस के हाथ अभी नहीं लगे हैं.

क्या कहते हैं दरोगाजी
पुलिस घटना की जांच कर रही है.अभियुक्तों के बयान व साक्ष्य जल्द ही न्यायालय को सुपूर्द कर दिया जाएगा.पुलिस की कोशिश निदोर्षों को फंसाने की कभी नहीं होगी.घटना में शामिल अभियुक्तों को सजा दिलाने की पूरी कोशिश की जाएगी.-                                                                                                     -ललन कुमार, इंस्पेक्टर,मुफस्सिल थाना






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