बिहार : कौन क्यों बना मंत्री?

neeetish_after othपटना. नीतीश कुमार पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन गए हैं। शुक्रवार को पटना के गांधी मैदान में उन्हें गवर्नर रामनाथ कोविंद ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नीतीश कुमार के अलावा 28 नेताओं को मंत्री बनाया गया है। जदयू और राजद के 12-12 और कांग्रेस के 4 नेताओं को मंत्री बनाया गया है। लालू के दोनों बेटों-तेजस्वी और तेज प्रताप यादव ने शपथ ली। शपथ लेते समय तेज प्रताप ने ‘अपेक्षित’ को ‘उपेक्षित’ पढ़ा तो गर्वनर रामनाथ कोविंद ने उन्हें टोका। कोविंद ने कहा कि उपेक्षित नहीं अपेक्षित होता है। आप फिर से शपथ लीजिए। यह सुनकर तेज प्रताप ने कहा कि हमें माफ कीजिए। इसके बाद तेज ने फिर से शपथ ली। नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का पूरा परिवार गांधी गांधी मैदान में मौजूद रहा।
मंत्री न बनने से श्याम रजक नाराज
इस बीच, मंत्री नहीं बनने से जेडीयू नेता श्याम रजक नाराज हो गए हैं। वे शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं पहुंचे। इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि वे पूरा कार्यक्रम टीवी पर देखेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें नीतीश की लीडरशिप पर पूरा भरोसा है। श्याम रजक बिहार में खाद्य मंत्री रह चुके हैं।
कौन क्यों बना मंत्री?
तेजस्वी यादव
तेजस्वी लालू यादव के छोटे बेटे हैं। लालू उन्हें अपने बाद आरजेडी सबसे बड़े नेता के रूप में देखना चाहते हैं , जिसके कारण तेजस्वी को सरकार में नं. दो का पद मिला है और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।
तेज प्रताप यादव
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप पहली बार विधायक बने हैं। पहली बार महुआ से मैदान में उतरे और शानदार जीत पाई।
अब्दुल बारी सिद्दिकी
सिद्धिकी राजद के सीनियर नेताओं में से एक हैं। इस बार अलीनगर से चुनाव जीते हैं। एमएलसी और कई बार विधायक और मंत्री रहे चुके सिद्दिकी 1995, 2000, 2005, 2010 और 2015 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। लालू के जेल जाने के बाद सिद्दिकी पार्टी के साथ नजर आए। लालू के करीबी नेताओं में सिद्दिकी एक हैं।
विजेंद्र प्रसाद यादव
विजेंद्र प्रसाद यादव नीतीश के करीबी लोगों में से एक हैं और जदयू के सीनियर नेता हैं। कई बार महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रह चुके हैं। विजेंद्र 1990 और 1995 में राजद से विधायक रहे। 2000, 2005, 2010, 2015 का चुनाव सुपौल से जदयू के टिकट पर जीते हैं।
राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह
ललन नीतीश कुमार के बेहद करीबी लोगों में से एक हैं। वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य हैं। जदयू सरकार में मंत्री है। कुछ साल पहले नीतीश और ललन के रिश्ते में दरार पड़ गई थी। वर्तमान में रिश्ते बेहतर है। 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद नीतीश ने ललन को विधान परिषद का सदस्य और मंत्री बनाया।
श्रवण कुमार
श्रवण जदयू सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 1995, 2000 में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। जदयू के टिकट पर 2005, 2010 और 2015 में विधानसभा का चुनाव राजगीर से जीते हैं।
जय कुमार सिंह
जय जदयू सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वह 2000 में राजनीति में आए थे। दिनारा से 2005, 2010 और 2015 में जदयू के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
आलोक कुमार मेहता
समस्तीपुर की उजियारपुर सीट से आरजेडी विधायक आलोक मेहता दिग्गज समाजवादी नेता और पूर्व मंत्री तुलसीदास मेहता के पुत्र हैं। मेहता परिवार का समस्तीपुर और आसपास के इलाकों में अच्छा खासा राजनीतिक दबदबा है। आलोक समस्तीपुर से पूर्व सांसद रह चुके हैं। वह युवा राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
चंद्रिका राय
चंद्रिका राय पहले भी मंत्री रह चुके हैं। वह राजद के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। सारण जिले में इनकी अच्छी पकड़ है।
अवधेश कुमार सिंह
अवधेश पुराने कांग्रेसी नेता हैं और इस बार दोबारा विधायक बने हैं। इस बार वजीरगंज से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते हैं। 2010 में चुनाव हार गए थे। पहली बार अवधेश मुफस्सिल से 2005 में चुनाव जीते थे।
कृष्णनंदन वर्मा
कोइरी जाति के प्रभावशाली जेडीयू नेता। वर्मा घोसी से चुनाव जीते हैं। घोसी सीट पर 30 सालों से जगदीश शर्मा के परिवार का कब्जा था। इस सीट पर जगदीश वर्मा फिर उनकी पत्नी और बेटे राहुल वर्मा विधायक रह चुके हैं।
महेश्वर हजारी
2015 विधानसभा चुनाव में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ कर कल्याणपुर से रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज को हराया है। 2009 में हजारी समस्तीपुर से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।
अब्दुल जलील मस्तान
मस्तान कांग्रेस के पुराने नेता हैं। कई बार विधायक रह चुके हैं। इस बार अमनौर से चुनाव जीते हैं। 1990 में पहली बार विधायक बने थे। 2000, 2005 और 2015 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
राम विचार राय
राम विचार राय राबड़ी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। मुजफ्फरपुर जिले में इनकी अच्छी पकड़ है। यादव समाज के बड़े नेता के रूप में गिने जाते हैं।
शिवचन्द्र राम
शिवचन्द्र राम दो बार विधायक रहे हैं। वह युवा राजद के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।
मदन मोहन झा
मदन मोहन बिहार कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। वर्तमान में मदन विधान परिषद के मेंबर हैं।
शैलेश कुमार
मुंगेर जिले की जमालपुर सीट से विधायक जेडीयू के नेता हैं। पहले भी यहां से विधायक रहे हैं।
संतोष निराला
संतोष राजपुर सुरक्षित सीट से दोबारा जदयू के टिकट पर चुनाव जीते हैं। 1991 में संतोष राजनीति में आए और 2005 में बीएसपी के जिलाअध्यक्ष, 2007 में महासचिव और 2010 में पहली बार विधायक बने।
मुनेश्वर चौधरी
मुनेश्वर चौधरी सारण जिले के गरखा के विधायक हैं। 60 साल के मुनेश्वर राजद के पुराने नेता हैं। उन्हें लालू का भरोसा भी हासिल है।
डॉ अब्दुल गफ्फूर
डॉ अब्दुल गफ्फूर सहरसा जिले के महिषी से विधायक हैं। वह राजद के पुराने नेता हैं। सहरसा जिले में उनकी अच्छी पकड़ है।
डॉ. चंद्रशेखर
राजद नेता चंद्रशेखर कोशी इलाके में पप्पू यादव के विरोधी माने जाते हैं। पप्पू को कमजोर करने के लिए लालू ने इन्हें बड़ी जिम्मेदारी दिलाई है।
अनिता देवी
अनिता रोहतास जिले के नोखा से जीत कर आई हैं। अनिता के परिवार की रोहतास जिले में अच्छी पकड़ है। इसके साथ अनिता का नाम राजद की महिला नेताओं में प्रमुखता से आता है, जिसका फायदा उन्हें मिला है।
विजय प्रकाश
जमुई से विधायक विजय प्रकाश ने हम नेता नरेंद्र सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह को हराया है। राजद कार्यकर्ता के रूप में विजय प्रकाश की छवि अच्छी है।
मदन सहनी
मदन दोबारा चुनाव जीते हैं। इस बार गौड़ाबौराम से विधानसभा जदयू के टिकट पर चुनाव जीते हैं। बहादुरपुर से पहली बार 2010 में भी जदयू के टिकट पर जीते थे।
कपिल देव कामत
कामत बाबूबरही से दो बार विधायक चुने गये हैं। 2015 में इस बार जदयू के टिकट पर चुनाव जीते हैं। 2010 में जदयू के टिकट पर लड़े थे पर उनको राजद के उमाकांत यादव ने हरा दिया था। पहली बार 2005 में जदयू के टिकट पर कामत विधायक बने थे।
मंजू वर्मा
मंजू देवी का राजनीति से पुराना संबंध है। पहली बार ये 2010 में विधायक बनी थी। इस बार भी मंजू चेरिया बरियापुर से जदयू के टिकट पर चुनाव जीती है। 2010 में भी मंजू विधायक बनी थीं। 1980 में इनके ससुर सुखदेव महतो भाकपा से चुनाव जीते थे और बाद में कांग्रेस में चले गए थे।
अशोक चौधरी
चौधरी इस समय विधान परिषद के सदस्य हैं और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन करने के कारण उनका रुतबा और बढ़ा है। वह बरबीघा से विधायक रह चुके हैं। बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। अशोक के पिता महावीर चौधरी 9 बार विधायक रहे और कांग्रेस जब राज्य में सत्ता में थी तो वह कई बार राज्य सरकार में मंत्री रहे।
खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद
जदयू के विधायक हैं खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद। खुर्शीद ने सिकटा से भाजपा के दिलीप वर्मा को हराया है। फिरोज अहमद नीतीश और लालू के काफी करीब हैं।
केजरीवाल से गर्मजोशी से मिले लालू
पटना के गांधी मैदान में मंच पर जब दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पहुंचे तो लालू ने उन्हें गले लगा लिया। वहीं, लालू ने राहुल गांधी से भी हाथ मिलाया। पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवगौड़ा, एनसीपी चीफ शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। कांग्रेस शासित छह राज्यों सहित नौ राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस समारोह में शामिल हुए। इनमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया, असम के सीएम तरुण गोगोई, सिक्किम के सीएम पी.के. चामलिंग, मणिपुर के सीएम इबोबी सिंह और अरुणाचल प्रदेश के सीएम नबाम टुकी भी मेहमानों की लिस्ट में शामिल थे। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित, रीता बहुगुणा जोशी भी समारोह में देखी गईं। हालांकि यूपी के सीएम अखिलेश यादव नहीं आए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सीपीआईएम के जनलर सेक्रेट्री सीताराम येचुरी, सीपीआई के नेता डी राजा के अलावा केंद्र सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू और केंद्रीय राज्य मंत्री (इंडिपेंडेंट चार्ज) इस समारोह में शामिल हुए। डीएमके प्रमुख करुणानिधी के बेटे स्टालिन भी मौजूद थे।
एक संदिग्ध को पुलिस ने पकड़ा
पटना पुलिस ने शपथ ग्रहण से ठीक पहले सियादुल नाम के एक शख्स को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उसके पास से कैमरा और पेन ड्राइव जब्त किया गया है।
किस मंत्री को कौन सा विभाग मिला?
राजद से मंत्री
तेजस्वी यादव- उप मुख्यमंत्री और पथ एवं भवन निर्माण विभाग, पिछड़ा और अति पिछड़ा विभाग
तेज प्रताप यादव- स्वास्थ विभाग, लघु सिंचाई और पर्यावरण विभाग
अब्दुल बारी सिद्दिकी- वित्त विभाग
आलोक कुमार- सहकारिता विभाग
चंद्रिका राय- परिवहन विभाग
रामविचार राय- कृषि विभाग
शिवचंद्र राम-कला एवं संस्कृति विभाग
अब्दुल गफूर- अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
अनिता देवी- पर्यटन विभाग
विजय प्रकाश- श्रम संसाधन विभाग
मुनेश्वर चौधरी- खान एंव भू तत्व विभाग
चंद्रशेखर- आपदा प्रबंधन विभाग
जदयू के मंत्री
राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह- जल संसाधन विभाग
श्रवण कुमार- ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य विभाग
जय कुमार सिंह- उद्योग एवं साइंट एंड टेक्नोलॉजी विभाग
महेश्वर हजारी- नगर विकास विभाग
विजेंद्र प्रसाद यादव- ऊर्जा विभाग
कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा- PHED एवं कानून विभाग
शैलेश कुमार- ग्रामीण कार्य विभाग
मंजू वर्मा- समाज कल्याण विभाग
संतोष कुमार निराला- SC-ST कल्याण विभाग
खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद- गन्ना उद्योग विभाग
मदन सहनी-खाद्य एवं उपभोक्ता विभाग
कपिल देव कामत- पंचायती राज विभाग
कांग्रेस के मंत्री
अशोक चौधरी- शिक्षा और आईटी विभाग
अवधेश कुमार सिंह- पशुपालन विभाग
अब्दुल जलील मस्तान- उत्पाद एवं निबंधन विभाग
मदन मोहन झा- राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग
इसलिए ऐतिहासिक रहा शपथ समारोह
इस शपथ ग्रहण समारोह को इस मायने में ऐतिहासिक माना जाएगा कि इसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा, शरद पवार और विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों सहित कई अन्य दलों के वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। शपथ ग्रहण समारोह में सभी की निगाहें राजद प्रमुख लालू प्रसाद के दोनों पुत्रों तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव पर रहीं जिन्होंने मंत्री के रूप में दूसरे और तीसरे स्थान पर शपथ ली। यह इस महागठबंधन में इस परिवार के महत्व की ओर इशारा करता है। राहुल गांधी को दिल्ली से यहां आने में देरी हो गई, जिसके कारण वह समारोह समाप्त होने से करीब 20 मिनट पूर्व शपथ ग्रहण स्थल पर पहुंचे। नीतीश और उनके मंत्रिमंडल का यह शपथ ग्रहण समारोह भाजपा नीत राजग में शामिल कुछ घटक दलों शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के अलावा गैर भाजपाई दलों की एकजुटता प्रदर्शित करने वाले एक मंच के तौर पर देखा गया। समारोह में शिरोमणि अकाली दल की ओर से पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और शिवसेना का प्रतिनिधित्व महाराष्ट्र के मंत्री रामदास कदम और सुभाष देसाई ने किया।
छह राज्यों के सीएम पहुंचे
नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने वाले मुख्यमंत्रियों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभ्रद सिंह, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चंडी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और असम के मुख्यमंत्री तरुण गगोई उपस्थित थे। गैर भाजपाई दलों के प्रमुख नेताओं की इस शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थिति इस महीने के अंत में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा नीत राजग के विरूद्ध विपक्ष को मनोवैज्ञानिक तौर पर मजबूत कर सकती है। भाजपा नीत राजग के विरुद्ध विपक्षी नेताओं के बीच केंद्रीयमंत्री वेंकैया नायडू ने शपथ ग्रहण समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी का प्रतिनिधित्व किया।
पीएम की ओर से आए वेंकैया नायडू
नायडू विशिष्ट व्यक्तियों के बैठने के लिए बनाए गए मंच पर पहली पंक्ति में बाएं से तीसरे स्थान पर तथा पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा और राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बीच बैठे हुए थे । वह नीतीश मंत्रिमंडल के शपथ लेने के दौरान लालू के साथ बात करते दिखे। नीतीश द्वारा स्वयं फोन कर इस समारोह में भाग लेने के लिए विशिष्ट अतिथियों को दिए गए आमंत्रण पर देवगौड़ा, राहुल और वेंकैया के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा नेता डी राजा, राकांपा प्रमुख शरद पवार, पार्टी के पूर्व कें्रदीय मंत्री और नेता प्रफुल्ल पटेल एवं तारिक अनवर, नेशनल कान्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला, डीएमके नेता टी आर बालू और एम के स्टालिन, राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख अजित सिंह और पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी ने भाग लिया।
नहीं आया मुलायम और अखिलेश
इस शपथ ग्रहण समारोह में समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो शामिल नहीं हुए लेकिन मैनपुरी से समाजवादी पार्टी के सांसद और लालू के छोटे दामाद तेज प्रताप सिंह उपस्थित थे। इस अवसर पर नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार और नीतीश के बडेÞ भाई सतीश कुमार के अलावा राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तथा उनकी सातों बेटियां और उनके दामाद भी मौजूद थे। इस शपथ ग्रहण समारोह ने फोटोग्राफरों को एक दूसरे के राजनीतिक तौर पर विरोधी रहे नेताओं को एक साथ एक मंच पर मौजूद रहने का फोटो लेने का अवसर प्रदान किया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और माकपा महासचिव सीताराम येचुरी जहां अतिथियों के लिए बनाए गए मंच पर पहली पंक्ति में बैठे दिखे, वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी उसी मंच पर मौजूद दिखे तथा असम के मुख्यमंत्री तरूण गगोई तथा एजीपी नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल महंत भी मंच पर साथ मौजूद थे। शपथ ग्रहण समारोह में विलंब से अपराह्न करीब तीन बजे पहुंचे राहुल विशिष्ट अतिथियों के लिए बनाए गए मंच के बाएं पहली पंक्ति में पहली सीट पर बैठे और दर्शकदीर्घा में बैठे लोगों की तरफ हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया । उनकी बगल में देवगौड़ा, फिर लालू, नायडू और शरद यादव थे । मंच पर अपनी सीट पर जाते हुए राहुल शीला दीक्षित से गले मिले और कुछ अन्य नेताओं से हाथ मिलाया।





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