26 वर्ष की मेहनत के बाद हथुआ के समीर को मिली बीपीएससी में सफलता

वर्ष 1992 से दे रहे थे बीपीएससी की परीक्षा 

युवा शायर व कवि के रूप में है राष्ट्रीय पहचान 

सुनील कुमार मिश्र,हथुआ, गोपालगंज। जब तक तोड़ेंगे नहीं,तब तक छोड़ेंगे नहीं। माउंटेंन मैन दशरथ मांझी की इस उक्ति को चरितार्थ किया है,हथुआ के समीर परिमल ने। जी हां, वर्ष 1992 से बिहार प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे प्रखंड के सोहागपुर पंचायत अंतर्गत भरतपुरा गांव के मूल निवासी श्री परिमल को आखिरकार सफलता मिल ही गयी। शनिवार को घोषित बीपीएससी के परिणाम में उन्हें 194वां रैंक मिला और उनका चयन बिहार वित्त सेवा के अंतर्गत सहायक आयुक्त राज्य कर पद पर हुआ है। श्री परिमल पहली बार वर्ष 1992 में 38वीं बीपीएससी की परीक्षा में शामिल हुए थे। जिसमें वे साक्षत्कार तक पहुंचे थे। लेकिन उनका चयन नहीं हो सका। इसी बीच लगातार परीक्षा देते रहे। पिछले वर्ष भी उन्होंने साक्षत्कार दिया था। वर्ष 1999 में उन्होंने बीपीएससी द्वारा सहायक शिक्षक की परीक्षा में गोपालगंज जिले में टॉप किया था। संप्रति वे पटना राज भवन स्थित आदर्श कन्या मध्य विद्यालय में शिक्षक के तौर पर अपनी सेवा दे रहे है। इसके अलावा एक प्रसिद्ध कवि व शायर के रूप में भी उनकी राष्ट्रीय पहचान है। उनके चयन पर उनके पैतृक गांव व मनीछापर स्थित ससुराल में खुशी की लहर दौड़ गयी। बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी बधाईयां दी। हथुआ संस्कृत कॉलेज में पदस्थापित उनकी बड़ी बहन डॉ.नीलम श्रीवास्तव, ससुर सच्चिदानंद प्रसाद,बड़े साले राजेश कुमार ने खुशी जाहिर किया। समीर अपनी सफलता का श्रेय कड़ी मेहनत,ईश्वर व मां-बाप के आशीर्वाद को देते हैं। उनका कहना है कि संघर्ष व असफलताओं से कभी डरना नहीं चाहिए। यहां बताते चले कि समीर के पिताजी स्व.मधुसूदन प्रसाद हथुआ के डॉ.राजेन्द्र प्रसाद उच्च विद्यालय में हेडमास्टर पद से अवकाश ग्रहण किए थे।






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