पर्यावरण की गंदगी का प्रभाव रोगों के रूप में

संतोष कुमार तिवारी ‘विद्रोही’
विश्व भर में 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है जिसमें विश्व भर के देश, कई संगठन लोगों को जागरूक करने के लिये कई कार्यक्रम करते हैl 1974 में विश्व पर्यावरण मनाने की मुहिम शुरू की गई जो प्रत्येक वर्ष बड़े ही चाव से मनाया जाता हैl केवल यह कार्यक्रम कुछ ही देशों में न जाये इसके लिये प्रत्येक वर्ष नये स्थानों पर मुख्य आयोजन करने की योजना बनाई गईl
भारत सरकार ने 19 नवम्बर 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया जिसमें जल, वायु़, भूमि से संबन्धिक कारक, मानव, पेड़, पौधे, जीव, जन्तु, सूक्ष्म जीव समेत अन्य जीवित पदार्थों के संरक्षण, संवर्धन व विकास के लिये हमेशा ही कुछ नया कार्य किया जाता हैl आज मानव जीवन के लिये पर्यावरण का संरक्षण अत्यन्त महत्वपुर्ण हो गया है जिसमें विश्व के सभी लोगों की सहभागिता अत्यन्त जरूरी है, कोई देश अकेला चाहे तो पर्यावरण का संरक्षण नही कर सकता हैl हमें ज्ञात होना चाहिये कि पर्यावरण की प्रतिकूलता के कारण न जाने कितनी प्रकार के जीव-जन्तु, पेड़-पौधे वनस्पतियां विलुप्त हो गई हैl विशालकाय डायनासोर इसका सटीक उदाहरण है जो लगभग साढे छ: करोड साल पहले ही विलुप्त हो गयाl
महान पर्यावरणविद हेनरी डेविट ने अपने एक वक्तव्य में कहा था कि ‘भगवान का शुक्र है कि इंसान उड़ नही सकता नही तो पृथ्वी के साथ साथ आकाश को भी बर्बाद कर देता’ इससे लगता है कि वास्तव में पर्यावरण के इस विनाशक रूप के लिये कही न कही मानव ही जिम्मेदार हैंl जो अपनी निजी स्वार्थपुर्ति के लिये सब को दांव पर लगा देता हैl
पर्यावरण दिवस को ‘ईको डे’ के नाम से भी जाना जाता हैl जिसे बचाने के लिये मानव को ईको फ्रेंडली तरीका अपनाकर पर्यावरण के संरक्षण में सहयोग देना चाहिये.
विश्व में पर्यावरण को खराब स्थिति में पहुंचाने में वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग, फूड वेस्टिंग समेत कई तरह के प्रदुषण भी जिम्मेदार हैl लोगों को बाढ़ से बचने, सौर उर्जा व जल तापक स्त्रोतों में उर्जा का उत्थान करने, जंगल प्रबंधन पर ध्यान देने, ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव कम करने तथा बिजली के उत्पादकता में हाइड्रो इनर्जी का प्रयोग करने के लिये जागरूकता प्रमुख हैl जहां तक विश्व स्तर पर पर्यावरण के संरक्षण की बात आती है तो कहते तो सभी है कि संरक्षण होना चाहिये लेकिन कभी कभी लोग अपने ही वादों को भूलकर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिये सब कुछ कर देते हैl विश्व में आ रही प्राकृतिक आपदायें पर्यावरण के असंतुलन के वजह से ही आती है जिसमें न जाने कितने निरपराध लोग अपनी जान गवां देते है और बाकी पुरी दुनियां केवल देखती रहती हैl यह हमें नही सोचना चाहिये कि हम सुरक्षित है न जाने कब प्राकृतिक आपदा के हम शिकार हो जायें, मामते है कि भले हम सौभाग्य से प्राकृतिक आपदा से सामना न किये लेकिन पर्यावरण की गंदगी का प्रभाव कही न कही पुरी दुनियां को रोगों के रूप में मिल रही है l हम देख सकते है कि कई सामाजिक कार्यकर्ता केवल पर्यावरण के संरक्षण के लिये अपनी पुरी जिन्दगी लगा दिये है तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम सब भी मिलकर जल, वायु, भूमि को सुरक्षित, संरक्षित व विकसित करने का पुरा प्रयास करके यथाशक्ति सहयोग करेंl
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